महिला किसान से जुड़े वो सारे भ्रम तोड़ रही उत्तराखंड की ‘मशरूम गर्ल

उत्तराखंड राज्य के चमोली (गढ़वाल) जिले की दिव्या रावत आज महिला किसान से जुड़े हुए वो सारे भ्रम तोड़ रही हैं, जो इस पित्तृसत्ता से जूझते हुए समाज ने सदियों से बुने हैं। दिव्या ने महिला किसान होने को एक नई परिभाषा देने का काम किया है, जहां उन्होने यह साबित किया है कि एक महिला खुद को किसान के रूप में स्थापित करते हुए अच्छी कमाई के साथ ही समाज में अपनी विशेष जगह भी बना सकती है। दिव्या आज मशरूम कल्टीवेशन के क्षेत्र में एक जाना माना नाम बन चुकी हैं और उन्हे ‘मशरूम गर्ल’ से संबोधित भी किया जाता है। मशरूम के जरिये दिव्या आज करीब 2 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार कर रही हैं। दिव्या को अब तक कई बड़े अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है, कुछ साल पहले उन्हे राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति अवार्ड से भी नवाजा गया था। दिव्या की कहानी बेहद दिलचस्प और प्रेरणा देने वाली है कि किस तरह उन्होने दिल्ली एनसीआर में अपनी अच्छी नौकरी छोड़कर वापस अपने गृह नगर की ओर रुख किया और अपने काम और अपनी लगन के जरिये क्षेत्र में हो रहे किसानों के पलायन को रोकने में सफलता हासिल की है।
ऐसे हुई शुरुआत उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली दिव्या के पिता रिटायर्ड आर्मी अधिकारी हैं। दिव्या की शुरुआती पढ़ाई नोएडा से हुई, जिसके बाद उन्होने एनसीआर क्षेत्र में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हुए अपने करियर की शुरुआत की, इस दौरान दिव्या ने एक के बाद एक करीब 8 नौकरियाँ छोड़ी। अपनी नौकरियों में मिली असंतुष्टि और कुछ अलग करने की चाह दिव्या को वापस उनके गृह राज्य उत्तराखंड ले आई। दिव्या का गाँव कोट कंडारा चमोली जिले से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। साल 2013 में जब दिव्या उत्तराखंड वापस लौटीं तब उन्होने पाया कि रोजगार के अभाव में लोग वहाँ से पलायन करने को मजबूर थे और तभी दिव्या ने इस दिशा में कुछ अलग करने का संकल्प लिया। साल 2015 में दिव्या ने मशरूम उत्पादन का खुद प्रशिक्षण लिया। दिव्या ने महज 3 लाख रुपये के निवेश के साथ मशरूम का कारोबार शुरू किया और धीरे-धीरे उनके साथ क्षेत्र के कई लोग जुड़ने शुरू हो गए। दिव्या ने खुद मशरूम की खेती करते हुए क्षेत्र के अन्य लोगों को भी मशरूम की खेती के लिए प्रेरित किया।