शिक्षा हासिल कर लेने के बाद आजकल के युवा जहां खेती से मुंह मोड़ रहे हैं वहीं कुछ लोग इसे अपने नये आइडियास से लाभ का धंधा बना रहे है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही ऐसी ही एक महिला देवांशी के बारे में जो खेती की महक को देश विदेश के पर्यटकों तक पहुंचा रहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के शिमला के पास स्थित एक छोटे से गाँव रुख्ला से आने वाली देवांशी शिमला के बोर्डिंग स्कूल से पढ़ीं और चंडीगढ़ से पोस्ट ग्रेजुएट    टीचर थीं। 1994 से 2006 तक वह प्राइवेट स्कूल में बच्चों को इंग्लिश लिटरेचर, लैंग्वेज और सोशल साइंस  की शिक्षा दे रहीं थी। ।   साल 2007 में  अपनी टिचिंग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से  जापान चली गईं। जापान में उसकी मुलाकात माइकल से हुई। माइकल   एक टीचर थे और यूनिवर्सिटी में  पढाने का काम करते  थे। 1985 तक वह यूके के अलावा, स्पेन, इटलीए नार्थ अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में रहे और उसके बाद जापान में बस गए।  कुछ दिनों बाद देवांशी को भारत की याद आने लगी और वह यहां के बारे में सोचने लगी।  उसे याद आया 1930 के दशक में देवांशी के दादाजी ने हिमालय की पहाड़ियों में यह सुंदर फार्म और पारंपरिक हिमाचली घर बनाया और इसे हिमालयन ऑर्चर्ड का नाम दिया था।  लेकिन कुछ कारणों से उसका रख रखाव सहीं नहीं हो रहा था। ऐसे में ने इसे अच्छा बनाने का सोचा। दोनों ने मिकर अब इसे इस तरह बना दिया है कि पर्यटम यहां दौड़े चले आ रहे हैं।  अब यहां हर दिन कई पर्यटक आते हैं एवं खेती के आनंद के साथ यहां के इको सिस्टम को अपने कैमरे में कैद कर के जाते है। 
इस स्थल की खास बात यह है कि यहां पर्यटकों को मछलियों से भरा सुंदर तालाब, बालकनी से पहाड़ और सनसेट के सुंदर प्राकृतिक नज़ारे मन मोह लेने वाले हैं। नेचर, हैंड क्राफ्ट, थिएटर, कविता और संगीत का शौक़ रखने वालों  को भी पूरा आनंद मिलता है।  हिमाचल जाकर  हिमालयन ऑर्चर्ड में वक़्त बिताना एक आपके लिए भी एक सुखद पल हो सकता है। अगर जब भी यहां की यात्रा करें तों  इस स्थल में आनंद  ले सकते हैं।

न्यूज़ सोर्स : ipm