दूसरे के आधार कार्ड और दस्तावेजों से हासिल किया रजिस्ट्रेशन


भोपाल । केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) इंदौर ने  60 फर्मों को पकड़ा है। मौके पर ये कंपनियां और फर्में हैं ही नहीं। दूसरे के आधार कार्ड और दस्तावेजों का उपयोग कर जीएसटी रजिस्ट्रेशन हासिल किया गया था। सेंट्रल जीएसटी की प्रिवेंटिव विंग ने बीते 15 दिनों में मुहिम चलाकर इन फर्मों को पकड़ा। सेंट्रल जीएसटी के अनुसार, विशेष आपरेशन चलाकर कुल 62 फर्मों की जांच व सत्यापन किया गया। इनकी जांच की गई तो 60 फर्में मौके पर नहीं मिलीं। यानी ये बोगस फर्में टैक्स घोटाले को अंजाम देने के लिए बनाई गईं थीं। इन 60 फर्मों में से 27 ने तो 59.6 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) हासिल भी कर लिया था। साथ ही 60.2 करोड़ रुपये का आइटीसी आगे पास भी कर दिया था। जीएसटी प्रिंसिपल कमिश्नर के आदेश के बाद इन फर्मों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद करने के साथ विभाग ने आइटीसी ब्लाक कर दिया है। फर्जीवाड़े में शामिल लोगों तक पहुंचने के लिए विभाग ने आगे की जांच शुरू कर दी है। इस वित्त वर्ष में इंदौर सीजीएसटी 75 ऐसे केस पकड़ चुका है। इसमें कुल 134.67 करोड़ का टैक्स घोटाला सामने आया है। इंदौर सीजीएसटी के सूत्रों के अनुसार, इसके बाद कंप्यूटर में भाई के नाम के साथ जीएसटी रजिस्ट्रेशन सर्च किए गए। 62 नए रजिस्ट्रेशनों पर शंका हुई। जांच आगे बढ़ाई और सत्यापन के आदेश हुए। फर्मों के पते पर अधिकारी पहुंचे तो वहां कुछ नहीं मिला। पता चला है कि ये फर्में अंतरराज्यीय फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर रहीं थीं। बिना कारोबार फर्जी रसीदों से ऐसा किया जा रहा था।सीजीएसटी विभाग के सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों को बीते कुछ महीनों में जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेकर टैक्स क्रेडिट लेने और जारी करने वाली फर्मों के नाम पर संदेह हुआ। इन नए रजिस्ट्रेशन हासिल करने वाली फर्मों के संचालकों में नाम के साथ भाई जुड़ा था। दरअसल, गुजरात में नाम के बीच भाई जोड़ने का प्रचलन है। बीते दिनों ही गुजरात में बोगस फर्मों के जरिए 43 हजार करोड़ से ज्यादा का जीएसटी फर्जीवाड़ा पकड़ा था।