हिंदू धर्म में कई ऐसी परंपराएं हैं जिनका पालन ऋषि मुनि के समय से अभी तक किया जा रहा है. इन्हीं में से एक है जनेऊ धारण करना. जनेऊ सात धागों वाला एक सूत्र होता है, जिसे संस्कृत में यज्ञोपवीत कहा जाता है. हिंदू धर्म में जनेऊ संस्कार को बहुत जरूरी माना जाता है. साथ ही हिंदू धर्म शास्त्रों में इसके कई लाभ भी बताए गए हैं. यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है बल्कि, वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है. इससे जुड़े कुछ नियम और फायदे बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

सनातन धर्म में जनेऊ धारण करने और उससे होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से बताया गया है.

जनेऊ धारण करने के फायदे
1. जनेऊ धारण करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति जनेऊ धारण करता उस व्यक्ति से नकारात्मकता दूर बनी रहती है और उसके आसपास बुरी शक्तियां नहीं आती.

2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को बुरे सपने नहीं आते और जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है.

3. प्रचलित मान्यता के अनुसार जनेऊ पहनने वालों को हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की आशंका अन्य लोगों के मुकाबले कम होती है. जनेऊ शरीर में खून के प्रवाह को भी कंट्रोल करने में मददगार होता है.

4. कान पर हर रोज जनेऊ रखने और कसने से स्मरण शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होती है. कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की वे नसें एक्टि व हो जाती हैं, जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता है.

5. आध्यात्मिक विकास के लिए भी जनेऊ बहुत फायदेमंद हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे पहनने वाले लोग ईश्वर के करीब होते हैं क्योंकि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है.

जनेऊ से जुड़े नियम नियम
1. जनेऊ को शौचालय जाते समय पहले दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथों को धोकर ही इसे कान से उतारना चाहिए.

2. अगर जनेऊ का कोई तार टूट जाए तो इसे जल्द ही बदल लेना चाहिए और फिर दूसरा धारण करना चाहिए.

3. इससे पहनने के बाद तभी उतारना चाहिए जब आप नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं, इसे गर्दन में घुमाते हुए ही धो लिया जाता है.