शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ओंकारेश्वर में एकात्म धाम का निर्माण एक अद्भुत प्रकल्प है. देश के प्रमुख संतों- महात्माओं की उपस्थिति में आगामी 18 सितंबर को ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा के लोकार्पण समारोह की तैयारियों को पूर्ण किया जाए.

उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदांत की अवधारणा को समर्पित विश्व में अपने किस्म के अनूठे एकात्म धाम का विशेष आकर्षण का केंद्र आदि शंकराचार्य जी की 108 फीट की बहुधातु प्रतिमा है. प्रतिमा स्थल के निकट सभी आवश्यक कार्यों को पूर्ण किया गया है. एकात्म पर एकाग्र विशेष संग्रहालय और अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना के लिए भी कार्य तेजी से पूर्ण करने को प्राथमिकता दी गई है.

आदि शंकराचार्य ने भारत को अपने परम वैभव पर पुनः स्थापित किया था। वे सनातक धर्म के पुनरोद्धारक हैं। आज हम जो भारत देख रहे हैं वे आचार्य शंकर की देन है। उन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। उन्होंने कुंभ मेले को पुनर्जीवित किया। कई परंपराओं को शुरू किया। सिर्फ 32 वर्ष की आयु में उन्होंने सनातन धर्म और भारत का पुनरुद्धार किया। उन्होंने देश को पुनर्जाग्रत और व्यवस्थित किया। वे केरल से चलकर अपने गुरु की खोज में ओंकारेश्वर तक पैदल आए थे। इस घटना का हमारे लिए बड़ा महत्व है। इसी कारण से इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए ओंकारेश्वर को चुना गया है। - असिस्टेंड प्रोग्राम ऑफिसर आशुतोष ठाकुर

शंकराचार्य की अखंड भारत की यात्रा ओंकारेश्वर से शुरू हुई थी। ओंकारेश्वर ऐसा धाम हैं जहां उनको गुरु पद प्राप्त हुआ। मध्य प्रदेश को यह गौरव प्राप्त हैं कि इसने ही एक ब्रह्मचारी को आदि शंकर के रूप में स्थापित किया। शंकराचार्य की अखंड भारत की यात्रा के स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है और उनको जोड़ा जा रहा है। उन जगहों को चिन्हित करके सार्वभौमिक एकात्मता के संदेश को देकर अखंड भारत को जोड़ा रहा है। इसमें अखंड भारत के साथ ही साथ अखंड विश्व की संकल्पना भी शामिल है। - सागर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा

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