मेरठ ।    भगवान राम का किरदार निभाकर दर्शकों के दिल में बस जाने वाले अरुण गोविल को भाजपा ने मेरठ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। मेरठ में वैश्य और गाजियाबाद से क्षत्रिय समाज का प्रत्याशी उतारकर भाजपा ने दोनों समाज का कोटा पूरा किया है।  मेरठ से वैश्य समाज से कई नेता दावेदारी में थे। तीन बार से विधायक अमित अग्रवाल की मजबूत दावेदारी थी। उपभोक्ता सहकारी संघ के अध्यक्ष संजीव गोयल सिक्का भी क्षेत्र में जुटे हुए थे। दो दिन से पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल का नाम भी तेजी से चर्चाओं में आया।  व्यापारी नेता विनीत अग्रवाल शारदा मजबूत दावेदारी जता रहे थे। महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज के अलावा हापुड़ से विकास अग्रवाल और सुधीर अग्रवाल की भी मजबूत दावेदारी थी, लेकिन रविवार रात को भाजपा ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए अरुण गोविल के नाम पर फाइनल वोट लगा दी।

टिकट बदलने के दे दिए थे संकेत

भाजपा ने अपनी पहली सूची में पश्चिम की चार सीटों के प्रत्याशी घोषित नहीं करके मेरठ और गाजियाबाद के टिकट बदलने के संकेत दे दिए थे। इसके बाद से माना जा रहा था कि पार्टी इस बार तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल को चुनाव नहीं लड़ाएगी। दरअसल, पिछली बार राजेंद्र अग्रवाल बेहद कड़े मुकाबले में बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी हाजी याकूब से जीते थे। हार-जीत का अंतर महज 4729 मतों का था। भाजपा हाईकमान का मानना था कि जहां कम अंतर से जीते हैं, वहां किसी सेलीब्रेटी प्रत्याशी को उतारा जाए। यही वजह रही कि राजेंद्र अग्रवाल का टिकट कटा और अरुण गोविल प्रत्याशी बने।

अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1958 को कैंट में हुआ

रामायण में ‘श्रीराम’ का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल के पास स्टारडम के अलावा उनका मेरठ कनेक्शन भी है। उनका जन्म 12 जनवरी 1958 को मेरठ कैंट में हुआ। उनके पिता चंद्रप्रकाश गोविल मेरठ नगर पालिका से जलकल अभियंता थे।

 अरुण की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सरस्वती शिशु मंदिर, पूर्वा महावीर और राजकीय इंटर कॉलेज से हुई। सहारनपुर और शाहजहांपुर में उनकी शिक्षा हुई। उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्राप्त की। उन्होंने इंजीनियरिंग विज्ञान में अध्ययन किया और कुछ नाटकों में अभिनय किया। उनके पिता चाहते थे कि वह एक सरकारी कर्मचारी बने, जबकि अरुण कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसके लिए उन्हें याद किया जाए। अरुण छह भाई और दो बहनों में चौथे नंबर के हैं। गोविल ने अभिनेत्री श्रीलेखा से शादी की है। उनके दो बच्चे हैं, सोनिका और अमल। 17 साल की उम्र में वह बिजनेस के सिलसिले में मुंबई गए और अभिनेता बनने के लिए संघर्ष शुरू किया।

1977 में आई फ़िल्म ‘पहेली’ से शुरुआत हुई

अरुण गोविल घर-घर लोकप्रिय भले ही ‘रामायण’ सीरियल से हुए, लेकिन बड़े पर्दे पर वो काफ़ी पहले 1977 में आई फ़िल्म ‘पहेली’ से डेब्यू कर चुके थे। ये फ़िल्म पारिवारिक फ़िल्में बनाने वाले प्रोडक्शन हाउस राजश्री प्रोडक्शंस की थी। 

 राम के किरदार ने अरुण को आम से खास बना दिया था। सार्वजनिक स्थलों पर लोग उनको देखते ही उनके पैरों में गिर जाते थे। लोग उन्हें भगवान राम के रूप में देखने लगे थे और उनका आशीर्वाद चाहते थे।

रामायण के बाद टीवी इंडस्ट्री में सक्रिय रहे

रामायण के बाद गोविल टीवी इंडस्ट्री में सक्रिय रहे हैं और बाकी कई पौराणिक धारावाहिकों में अभिनय किया। इनमें लव-कुश, विश्वामित्र और बुद्धा नाम के टीवी शो में राजा हरिश्चंद्र का किरदार भी निभाया।
 
टीवी पर उनका दूसरा लोकप्रिय किरदार रहा, ‘विक्रम बेताल’ का राजा विक्रम। इस शो और अरुण गोविल के किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया। अरुण ने ‘श्रद्धांजलि’, ‘इतनी सी बात’, ‘जियो तो ऐसे जियो’, ‘सावन को आने दो’ जैसी कई फिल्मों में भी नजर आए।