उज्जैन । उज्जैन में महाशिवरात्रि महापर्व के दूसरे दिन बाबा महाकाल ने शेषनाग रूप किया धारण किया। मानाजाता है कि चतुर्दशी के स्‍वामी स्‍वयं शिव हैं। सनातन धर्म में 12 माह की 12 शिवरात्रियां होती हैं जिसमें फाल्‍गुन कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इसी शिव नवरात्रि के दूसरे दिन संध्या पूजन के पश्चात भगवान महाकालेश्वर ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। उस दौरान बाबा महाकाल को गुलाबी रंग के नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर भगवान जी का भांग, चंदन व सूखे मेंवे से श्रृंगार किया गया। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्‍वर को मुकुट, मुण्ड माला, नागकुंडल एवं फलों की माला के साथ शेषनाग धारण करवाया गया। शिवनावरात्रि के दूसरे दिन बाबा का अलौकिक श्रंगार किया गया। जिसके बाबा को शेषनाग धारण करवाया गया। वहीं उन्हे गुलाबी वस्त्र भी धारण कराये गए। उल्लेखनीय है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मन्दिर स्थित है। इसे भारत के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। पुण्य सलीला शिप्रा तट पर स्थित उज्जैन प्राचीनकाल में उज्जयिनी के नाम से विख्यात था। यह स्थान हिन्दू धर्म की सात पवित्र पुरियों में से एक है।