आंकड़े इकट्ठा करना और उसका विश्लेषण करना, कार्यक्रम मूल्यांकन और सुधार प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है। उदाहरण के लिए छात्रों के प्रदर्शन, उपस्थिति और सहभागिता से जुड़े आंकड़े जुटाकर और उनका विश्लेषण कर, शिक्षक अपने पढ़ाने के तरीक़ों में बेहतरी ला सकते हैं। उसी तरह प्रशासन एक समेकित आंकड़े का उपयोग – कार्यक्रम के क्रियान्वयन के बारे में जानने, प्राप्त लक्ष्यों के बारे में समझने और सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कर सकते हैं। यही आंकड़ा नीति निर्माताओं को यह तय करने में भी मदद कर सकता है कि संसाधन कहां आवंटित किए जाएं और कौन से कार्यक्रम लागू किए जाएं।

ज्ञान प्रकाश फाउंडेशन (जीपीएफ) में, हम महाराष्ट्र के चार जिलों (परभणी, नंदूरबार, सतारा और सोलापुर) के ग्रामीण सरकारी स्कूलों में योग्यता-आधारित शिक्षा के माध्यम से सीखने में बुनियादी बदलाव लाने के लिए काम कर रहे हैं। हमने साल 2011 में संस्था की स्थापना के बाद से शिक्षकों, स्कूल लीडर्स, क्लस्टर अधिकारियों, ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारियों, और माता-पिता और समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ काम करते हुए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया है। ये सभी बच्चों के लिए सीखने को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह लेख आंकड़े के लिए विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण अपनाने से मिली हमारी सीख पर आधारित है, हमारा मानना ​​है कि इसका उपयोग इसमें शामिल सभी हितधारकों – नीति निर्माताओं और शिक्षकों – द्वारा प्रभावी निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है।

विभिन्न हितधारक आंकड़ों का उपयोग कैसे करते हैं?

शिक्षा के सेक्टर में, यदि किसी कार्यक्रम में बच्चे शामिल हैं तो आंकड़े हासिल करने का सबसे आम बिंदु बच्चों के सीखने से जुड़े आंकड़े होते हैं। ये आंकड़े मुख्यरूप से दो तरह के भागीदारों के लिए होते हैं: निर्णय लेने वाले (क्लस्टर के प्रमुख और प्रखंड और ज़िले के शिक्षा अधिकारी) और कक्षा में शिक्षक। निर्णायक भूमिकाओं में बैठे लोगों के सामने जो आंकड़े रखे जाते है, वे आमतौर पर बच्चे के समेकित मूल्यांकन डेटा, स्कूल के बुनियादी ढांचे की जानकारी, अगले शैक्षणिक वर्ष की योजनाओं से जुड़े होते हैं। ये आंकड़े क्लस्टर, ब्लॉक और जिले में शिक्षा की स्थिति को समझने के लिए जरूरी हैं और इसका उपयोग रणनीतियां बनाने, कार्यक्रम में बड़े बदलाव करने और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवाई जाने वाली रिपोर्ट लिखने में किया जाता है। शिक्षकों के लिए तैयार किए गए आंकड़े ज्यादातर बार बच्चों का व्यक्तिगत मूल्यांकन आंकड़ा होता है जो उनकी खुद के पढ़ाने के तरीक़ों को बेहतर बनाने में मदद करता है।

आंकड़े के प्रवाह की दिशा लगभग तय है – यह शिक्षकों से नीति–निर्माताओं तक पहुंचती है।

आंकड़ों की मांग ज्यादातर बार, उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा निचले स्तर पर मौजूद लोगों से की जाती है। आमतौर पर ये प्रदर्शन से जुड़े होते हैं, फिर चाहे वह बच्चों का हो, शिक्षक को हो या अधिकारियों का। यह माना जाता है कि किसी बच्चे का मूल्यांकन परीक्षा में उसे मिले अंकों के आधार पर किया जाता है तो शिक्षक का मूल्यांकन उनकी कक्षा में ‘अच्छा’ प्रदर्शन करने वाले छात्रों की संख्या के आधार पर होता है। हालांकि यह सही नहीं है लेकिन इससे शिक्षकों में आंकड़ों को लेकर डर पैदा हुआ है। नतीजतन, शिक्षक या तो आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया से अलग रहते हैं फिर उच्च अधिकारियों को ऐसी रिपोर्ट भेजते हैं जो कक्षा में उनके छात्रों के सटीक प्रदर्शन को नहीं दिखाती है।

आंकड़ों के प्रवाह की दिशा लगभग तय है – ये शिक्षकों से नीति-निर्माताओं तक पहुंचते हैं। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक अपनी कक्षा से समेकित आंकड़ा एकत्र कर उस क्लस्टर प्रमुख को देता है जो क्लस्टर के सभी स्कूलों से आंकड़े एकत्र कर क्लस्टर-स्तर की रिपोर्ट तैयार करता है। यह क्लस्टर-रिपोर्ट ब्लॉक के प्रमुख के पास जमा की जाती है जो सभी क्लस्टर से प्राप्त आंकड़ों से एक समेकित आंकड़ा तैयार कर ब्लॉक-रिपोर्ट बनाता है। चूंकि आंकड़े एक ही दिशा में आगे बढ़ते हैं जिससे इसकी ज़िम्मेदारी एक से दूसरी इकाई को स्थानांतरित होती रहती है। ऐसा होना इसे शिक्षकों से दूर कर देता है और इसके लिए उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। शिक्षक के पास प्रत्येक छात्र के प्रदर्शन की जानकारी देने वाले आंकड़े होते हैं जिनका उपयोग बदलाव लाने के लिए किया जा सकता है। लेकिन, असल में यह बच्चों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए सीधे तौर पर उनके शिक्षण के तरीक़ों में कोई मदद नहीं करता है।

आंकड़ों को अधिक उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है?

किसी भी तरह का आंकड़ा तभी उपयोगी होता है जब इसके उपयोगकर्ता के पास इस पर आधारित कुछ फ़ैसले लेने की शक्ति होती है। आंकड़ों को एकत्र करना और व्यवस्थित करना आसान होना चाहिए और हर स्तर पर उपयोगकर्ताओं के पास उनका इस्तेमाल कर कार्रवाई करने की ताकत होनी चाहिए। हालांकि, शिक्षा के क्षेत्र में, आंकड़ों का उपयोग केवल नीति के स्तर पर ही किया जाता है। इसमें से शिक्षकों का नज़रिया गायब होता है – कक्षा के संदर्भ में, एकत्र किए गए आंकड़े से प्रत्येक छात्र ने क्या सीखा है इसकी जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए। उसके बाद शिक्षकों को इतना सक्षम होना चाहिए कि वे अपने छात्रों की ज़रूरतों की पहचान कर सकें और प्रत्येक बच्चे के सीखने से जुड़े आंकड़ों के आधार पर सिखाने के उपयुक्त तरीके अपना सकें।

हमारे कार्यक्रम में, हम आंकड़ों को काम लायक बनाने के लिए तीन तरह की प्रमुख रणनीतियां लेकर आए हैं: शिक्षकों के लिए आंकड़े उपयोगी हो सकें, आंकड़ों को लेकर उच्च अधिकारियों के नज़रिए को बदलना, और आंकड़ों को समेकित करने के लिए तकनीक का उपयोग करना।

किसी भी तरह का आंकड़ा तभी उपयोगी होता है जब इसके उपयोगकर्ता के पास इस पर आधारित कुछ फ़ैसले लेने की शक्ति होती है। | 

1. आंकड़ों को शिक्षकों के लिए उपयोगी बनाएं

कोई भी आंकड़ा शिक्षकों के लिए सबसे उपयोगी तब होता है जब वे इसे समझ सकें, यानी इसका उपयोग इस बात का आकलन करने के लिए कर सकें कि बच्चों ने क्या सीखा है। साथ ही, यह तय करने के लिए कर सकें की सिखाने के तरीक़ों को सुधारने के लिए कौन से मुख्य कदम उठाने की जरूरत है।

ऐसा करने के लिए, 2016 में, हमने शिक्षकों के साथ एक सरल ऑफ़लाइन स्प्रेडशीट बनाई, जिससे उन्हें अपनी कक्षाओं से जुड़ी जानकारी को समझने में मदद मिली। प्रत्येक पंक्ति में एक छात्र का नाम और प्रत्येक कॉलम में उन कौशलों या दक्षताओं को सूचीबद्ध किया गया है जिनमें उनसे एक निश्चित अवधि के भीतर महारत हासिल करने की उम्मीद की गई थी (उदाहरण के लिए, 10 तक की संख्याओं को पहचानना, या ‘अधिक’ और ‘कम’ की अवधारणाओं को समझना)। शिक्षकों को उन दक्षताओं पर चिह्न लगाने के लिए हरी पेंसिलें दी गईं, जिनमें छात्रों ने महारत हासिल कर ली है और लाल पेंसिलें उन दक्षताओं को चिन्हित करने के लिए दी गईं, जिनमें छात्रों को अभी महारत हासिल करनी है।

अब केवल इस शीट पर एक नज़र भर डालकर शिक्षकों को इस बात की जानकारी मिल सकती थी कि छात्र ने किसी कौशल में महारत हासिल की या नहीं। यह देखना भी आसान हो गया कि पूरी कक्षा अच्छा प्रदर्शन कर रही है या नहीं। इस शीट का उपयोग कर, शिक्षक दो प्रमुख बातों की पहचान कर सकते थे: वे विशिष्ट सहायताएं जिनकी व्यक्तिगत रूप से छात्रों को आवश्यकता होती है, और वे दक्षताएं जिन पर उन्हें पूरी कक्षा के साथ काम करने की आवश्यकता होती है। इन दोनों को मिलाकर, शिक्षक व्यक्तिगत रूप से हर छात्र के लिए और पूरे समूह के लिए बेहतर योजना बनाने में सक्षम होने के साथ ही कक्षा में समय के उपयोग के तरीक़ों पर भी सोच सकते थे। जब शिक्षकों ने देखा कि ये आंकड़े उन्हें छात्रों के साथ बेहतर काम करने में मदद कर रहे हैं तो इससे आंकड़ों के प्रति उनका डर दूर हो गया। एक बार जब आंकड़ों का स्वामित्व इसके स्त्रोत के पास ही रहा और सूचना के प्रवाह की दिशा बदल गई और तब ये आंकड़े भी उपयोगी हो गए। इसी शीट का उपयोग, उच्च अधिकारियों के पास साझा किया जाने वाला कक्षा का औसत आदि जैसे अलग तरह के आंकड़ों को भी तैयार करने में किया जा सकता था।

दो वर्षों तक, जीपीएफ ने छात्र शिक्षण आंकड़े को उपयोगी बनाने के लिए ‘लाल-हरी शीट’ का उपयोग किया। यह प्रक्रिया मैन्युअल थी, जिससे इसमें त्रुटियां होने की संभावना थी और इसे प्रबंधित करना और स्केल करना कठिन था। 2018 में, जीपीएफ समाजसेवी संस्था गूरू द्वारा विकसित एक डिजिटल प्लेटफॉर्म –लर्निंग नेविगेटर– में बदल गया। इस प्लेटफ़ॉर्म ने ठीक उसी आवश्यकता को पूरा करते हुए आंकड़ों के प्रबंधन और प्रस्तुति को और अधिक कुशल बना दिया। यह शिक्षकों को हर बच्चे की जानकारी रखने और व्यक्तिगत, सामूहिक और समेकित रिपोर्ट हासिल करने में सहायता करता है। यह उन दक्षताओं की पहचान करने में मदद करता है जिन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

2. आंकड़ों पर उच्च अधिकारियों के दृष्टिकोण में बदलाव लाएं

हम लाल और हरे रंग की शीट के डेटा को न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि उच्च अधिकारियों के लिए भी व्यावहारिक बनाना चाहते थे, जो इन आंकड़ो का उपयोग करके बेहतर निर्णय ले सकें। इससे क्लस्टर अधिकारियों को आंकड़े को नए नजरिए से देखने का मौका मिला। आंकड़े को केवल किसी शिक्षक या स्कूल के प्रदर्शन के रूप में देखने की बजाय, सभी कक्षाओं और स्कूलों के सामूहिक आंकड़ों ने क्लस्टर प्रमुख को उनकी सीखने की यात्रा में छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और शिक्षकों की मुश्किलों की पहचान करने में मदद की। छात्र किन दक्षताओं से जूझ रहे थे? उन अवधारणाओं को पढ़ाते समय शिक्षकों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था?

शिक्षकों ने देखा कि उनकी कक्षाओं से इकट्ठा किए गए आंकड़े का उपयोग उनके छात्रों के साथ प्रभावी ढंग से काम करने की क्षमता बढ़ाने में किया जा रहा है। परिणामस्वरूप, सटीक आंकड़ों की रिपोर्टिंग को लेकर उनके मन में व्याप्त शंका में कमी आई। नतीजतन, प्रत्येक विषय के छह से सात अनुभवी शिक्षकों वाले क्लस्टर रिसोर्स ग्रुप्स को बुलाया गया। इन समूहों ने क्लस्टर में अन्य शिक्षकों की क्षमताओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षणपरिषदों में लाल-हरे रंग की शीट से प्राप्त आंकड़े के उपयोग से क्लस्टर के प्रमुख को किसी विशेष माह में ध्यान केंद्रित करने के लिए सीखने से जुड़े नतीजों की पहचान करने में मदद मिली। साथ ही, इसकी मदद से उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी शिक्षक अपनी कक्षाओं में उन दक्षताओं को सीखने के लिए कुशल हैं।

3. आंकड़ों को समेकित करने के लिए तकनीक का उपयोग करें

चूंकि जीपीएफ़ एक बड़े-स्तर का कार्यक्रम है इसलिए हमारी रुचि समेकित आंकड़े में थी। 2021 के अक्टूबर में समेकित आंकड़े को उन अधिकारियों को उपलब्ध करवाया गया जो महाराष्ट्र के चार जिलों में शिक्षकों का सहयोग करते हैं। लर्निंग नेविगेटर पर ‘मिशन कंट्रोल’ सुविधा के इस अपडेट के साथ, एक जिले के सभी स्कूलों का आंकड़ा वास्तविक समय में न केवल शिक्षक के लिए उपलब्ध कराया गया, बल्कि पूरे सिस्टम में स्कूल प्रबंधन समितियों, क्लस्टर प्रमुखों, ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों और जिला अधिकारियों को भी उपलब्ध कराया गया।

एक क्लस्टर प्रमुख ने कहा कि जिस क्षेत्र के लिए वह जिम्मेदार है, उसके अंतर्गत आने वाले सभी शिक्षकों के काम की निगरानी करना उनके लिए आसान है। ‘दोनों समूहों से शिक्षकों की कुल संख्या [जिनकी मैं देखरेख करता हूं] 182 से अधिक है। लेकिन आज, जहां मैं हूं, मेरे लिए यह देखना संभव है कि कितने शिक्षकों ने किस विशिष्ट शिक्षण परिणाम पर काम किया है।’

आंकड़ा किसी कार्यक्रम के सभी स्तरों पर हितधारकों के लिए उपयोगी हो सकता है।

एक ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि मिशन कंट्रोल फीचर उनके लिए कैसे फायदेमंद होगा। ‘हम परभणी जिले के नौ ब्लॉकों के छात्रों को ट्रैक करने के लिए मिशन नियंत्रण का उपयोग करेंगे। इससे हमें प्रत्येक छात्र को उनके ग्रेड के अनुसार अपेक्षित सभी सीखने के परिणाम प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लक्ष्य की दिशा में काम करने में मदद मिलेगी।’

हमने जो रणनीतियां अपनाईं, उनसे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि हर स्तर पर उपयोगकर्ता अपने हाथों में डेटा के साथ सशक्त थे और हर कक्षा में हर बच्चे के सीखने में सुधार के लिए निर्णय ले सकते थे। हम अक्सर यह समझने में गलती करते हैं कि आंकड़ों के वास्तविक और एक मात्र उपभोक्ता वे संस्थाएं हैं जो गतिविधियों को फंड देती हैं। दरअसल यह एक मिथक है। आंकड़ा किसी कार्यक्रम के सभी स्तरों पर हितधारकों के लिए उपयोगी हो सकता है। आंकड़ों की उपयोगिता और प्रमाणिकता की जांच सेल्फ़-चेक द्वारा की जा सकती है। यह एक ऐसी चीज़ है जिसे लेकर कई कार्यक्रम संघर्षरत रहते हैं।

न्यूज़ सोर्स : पल्लवी मुखेड़कर, रोहन देशपांडे, श्वेता चक्रवर्ती