गंगा राजपूत पत्नी जगदीश राजपूत बताती है कि गांव में पीने के पानी के लिए तीन-चार किमी दूर जाना पड़ता था। गांव का बाबा तालाब वर्ष 1999 से ही सूखा हुआ था। लोग कहते गांव के पूर्व सरपंच ने तालाब का जीर्णोद्वार करवाना शुरू किया था तो उनके दो बच्चों की मौत हो गई थी। इस भ्रांति से गांव के लोग तालाब के पास तक नहीं जाते थे। धीरे-धीरे गांव का यह चंदेलकालीन तालाब सूख गया। गंगा बताती है कि 2019 में गांव में जल संरक्षण पर कार्यशाला में शामिल होकर उन्होंने इस तालाब का जिक्र किया। जिसके बाद तालाब को जीवित करने की योजना बनाई गई। परमार्थ समाजसेवी संस्था से जुड़कर जल संरक्षण के कार्य शुरू किए। जल सहेली बनीं और गांव की 25 महिलाओं का समूह बनाकर तालाब को जीवित करने का कार्य शुरू किया। गंगा राजपूत कहती हैं जब तालाब पर काम करना शुरू किया गया तो लोग कहते थे वंश बर्बाद हो जाएगा।इन बातों को दरकिनार कर तालाब की सफाई का कार्य जारी रखा। गाद साफ की, जहां फूटा था, उसकी मरम्मत का कार्य शुरू किया। तालाब भरने के लिए पास की बछेड़ी नदी में चेक बंधान किया। दो वर्ष की मेहनत से 2021 में यह मृत तालाब जीवित हो गया। चौधरी खेड़ा मजरा के बाबा तालाब में अब वर्ष भर पानी रहता है। पहले गांव में बमुश्किल से दो एकड़ में खेती हो पाती थी, लेकिन अब 80 एकड़ से ज्यादा जमीन में सिंचाई के लिए यह तालाब पानी दे देता है। इन दिनों तालाब के आसपास गेहूं की फसल लहलहा रही है। इनका कहना है भोयरा गांव के मजरा चौधरी खेड़ा की गंगा राजपूत को दिल्ली में चार मार्च को राष्ट्रपति सम्मानित करेंगीं। उन्हें जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जल योद्वा के तौर पर जल संरक्षण के लिए कार्य करने के लिए स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान के लिए चयनित किया गया है।
न्यूज़ सोर्स : ipm