एक प्रोग्रेसिव समाज में हम हमेशा बराबरी और बराबर मौकों की बात करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी व्यक्ति को कोई फिजिकल डिसेबिलिटी हो, तो उनके लिए मौके अपने आप कम हो जाते हैं. उदाहरण के लिए, अगर किसी के हाथ न हों, तो कोई ऐसी नौकरी करना जिसमें दिनभर कंप्यूटर पर टाइपिंग करनी है, मिलने का मौका उस व्यक्ति के लिए शून्य हो जाता है. लेकिन एक ऐसा स्टार्टअप है जो शारीरिक अक्षमताओं वाले व्यक्तियों के लिए बराबरी लेकर आता है.
 ये एक अफोर्डेबल असिस्टिव डिवाइसेज बनाने वाला स्टार्टअप है. असिस्टिव यानी मदद करने वाला. डेक्स्ट्रोवेयर डिवाइसेज के फाउंडर प्रवीण कुमार एक गेमर हैं. गेम्स की दुनिया में होने वाले टेक्नोलॉजिकल बदलाव उन्हें काफी इम्प्रेस करते थे. एक दिन उन्होंने एक ऐसा डिवाइस देखा जिससे अपने सिर के मूवमेंट से कोई भी अपने गेम के कैरेक्टर के मूवमेंट कंट्रोल कर सकता था. उसी बीच प्रवीण के एक दोस्त को हाथ में फ्रैक्चर हो गया. उन्होंने देखा कि उनके दोस्त कंप्यूटर से जुड़ा कोई भी काम नहीं कर पा रहे हैं. तब उन्हें आइडिया आया कि क्यों न एक ऐसा डिवाइस बनाया जाए जिससे सिर के मूवमेंट से लोग कंप्यूटर चला सकें. और बोलकर टाइपिंग कर सकें. 

IIT मद्रास रिसर्च पार्क से शुरू हुआ ये स्टार्टअप एक ऐसी दिशा में काम कर रहा है जिसपर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है. शारीरिक अक्षमता के शिकार हुए लोग, या किसी हादसे में अपने हाथ खो देने वाले लोगों के लिए ये ऐसे मौके क्रिएट कर रहा है जो उनकी नौकरी चले जाने का कारण बन जाते हैं. फाउंडर अपने प्रोडक्ट को फिजियोथेरापिस्ट और ऑर्थोपीडिक क्लीनिक्स से भी जोड़ रहे हैं. Tech30 ने बीते 11 साल में 330 से ज्यादा स्टार्टअप्स को प्रोफाइल कर उनके बारे में दुनिया को बताया है, 35,000 से ज्यादा नौकरियां देने में मदद की है, 300 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा की फंडिंग इसकी मदद से आई है और 675 से भी ज्यादा युवा फाउंडर्स को हमने कुछ कर दिखाने की ताकत दी है. Tech30 लिस्ट का हिस्सा रहे 5 ऐसे स्टार्टअप हैं जो यूनिकॉर्न बन चुके हैं. यानी उनका वैल्यूएशन 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा है और ये सिलसिला अभी रुका नहीं है. 

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