गाडरवारा की जिस शक्कर नदी में कभी वर्ष भर पानी रहता था वह बीते कुछ वर्षो से गर्मी के शुरूआती दौर में ही दम तोड़ने लगी है। जिससे न केवल नदी के तटीय क्षेत्रों के भूजल स्तर पर असर हो रहा है बल्कि नदी पर निर्भर रहकर जो किसान खेती करते थे उनकी खेती पर भी प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या को देखकर अब जन अभियान परिषद की टीम ने यहां सामुदायिक सहयोग से 3000 बोरियों का बोरी बंधान कर नदी के अस्तित्व को बचाने की पहल की है। 

स्थानीय नागरिक कहते हैं कि करीब दो दशक पहले वर्ष भर नदी में पानी रहता था।लेकिन कुछ वर्षो से नदी में पानी की कमी गर्मी के शुरूआती दौर में ही शुरू हो जाती है। नदी के छिड़ाव घाट पर धार टूटने लगी है।यहां पानी के नाम पर केवल नाले से आया गंदा पानी जमा है।जिससे नदी के बहाव क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ रहा है लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा नदी को साफ-सुथरा रखने और गंदे पानी की निकासी को रोकने के लिए कोई प्रबंध नहीं किए जा रहे हैं। जबकि इसके लिए नागरिक लंबे समय से नगर प्रशासन से मांग कर रहे हैं।

न्यूज़ सोर्स : ipm