इंदौर ।   काली और गैर कानूनी स्त्रोतों से हुई कमाई को मैनेज करने में मदद करना अब कर पेशेवरों पर भी भारी पड़ेगा। ऐसी कमाई का निपटारा करने और काले धन को कानूनी जामा पहनाने के रास्ते दिखाने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) और कास्ट अकाउंटेंट भी प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट में आरोपित बनाए जाएंगे। तीन मई को वित्त मंत्रालय ने प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 में संशोधन कर यह प्रविधान शामिल कर लिया है।
ताजा संशोधन के अनुसार काले धन से अर्जित संपत्ति की खरीदी बिक्री में मदद करने वाले पेशेवर, ऐसे लोगों के धन का मैनेजमेंट करने वाले, बैंक खाते व अन्य अकाउंट मैनेज करने वाले, ऐसे धन को शोधित करने के लिए कंपनियां बनाने में मदद करने वाले पेशेवरों पर भी कानून लागू होगा। ऐसे किसी भी मामले में किसी नागरिक जिस पर पीएमएलए लागू होता है तो उसकी मदद करने वाले सीए, सीए आदि पर भी यह कानून लागू होगा। ताजा संशोधन के बाद सीए और कर पेशेवरों में हड़कंप मच गया है।

दरअसल पीएमएलए एक्ट में कार्रवाई अवैध स्त्रोतों से अर्जित आय पर की जाती है। इसमें ड्रग्स, आंतकवाद, हथियार और अन्य गैर कानूनी स्त्रोत तो आते ही हैं। सरकारी अधिकारी जो अपने पद और स्थिति का दुरुपयोग कर अवैध संपत्ति एकत्र करते हैं उन पर भी इस कानून में कार्रवाई होती है। ऐसे में सीए और पेशवरों की घबराहट स्वभाविक है। दरअसल काली कमाई को मैनेज करने के लिए ऐसे तमाम अधिकारी भी पेशेवरों की मदद लेते हैं। संपत्ति में बढ़े पैमाने पर काला धन निवेश किया जाता है, बल्कि शैल कंपनियां भी बनाई जाती है। अब तक आयकर और अन्य विभाग सीए को सिर्फ हिरासत में लेकर और गिरफ्तार कर पूछताछ करते थे और उन्हें गवाह बनाते थे। अब नए कानून से वे सीधे आरोपित बनाए जाएंगे। कानून के अनुसार संबंधित आरोपित की पूरी संपत्ति जब्त हो सकती है। साथ ही उन पर क्रिमिनल केस चलाकर उन्हें जेल में भी डाला जा सकता है। ताजा संशोधन के बाद कर पेशेवरों में घबराहट फैल गई है। दरअसल बीते वर्षों में किए ऐसे आर्थिक व्यवहार आने वाले समय में सामने आने पर भी उन पर कार्रवाई हो सकेगी।