Laxmi Ganesh Puja: विघ्न विनाशक गणेश आदिदेव शंकर और माता पार्वती के पुत्र हैं. लेकिन गणेश जी की पूजा माता लक्ष्मी के साथ होती है. यह सवाल कई बार दिमाग में आता होगा, तो आइये बताते हैं इसकी कथा. काशी के पं. शिवम शुक्ला ने बताया कि एक बार माता लक्ष्मी को अहंकार हो गया कि उनकी सभी पूजा करते हैं, और पाने के लिए लालायित रहते हैं. भगवान यह बात समझ गए, उन्होंने कहा कि देवी भले ही संसार आपकी पूजा करता हो और आपको पाने के लिए लालायित रहता हो , लेकिन आप में एक कमी है. आप अपूर्ण हैं. इस पर माता लक्ष्मी ने कारण पूछा.


माता लक्ष्मी क्यों थी अपूर्ण
इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती, तब तक वह पूर्ण नहीं होती. निःसंतान होने के कारण आप अपूर्ण हैं. यह जानकर माता लक्ष्मी दुखी हो गईं और उन्होंने अपनी पीड़ा माता पार्वती को बताई और उनके दो पुत्रों में से एक गणेश को गोद देने के लिए कहा. माता पार्वती ने लक्ष्मीजी की पीड़ा देखकर गणेशजी को गोद दे दिया. इसके बाद से गणेशजी माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र बन गए.इसी के बाद से माता लक्ष्मी ने भगवान गणेश को वरदान दिया कि जो व्यक्ति मेरे साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा, उसके पास मैं नहीं रहूंगी. तभी से माता लक्ष्मी के साथ गणेशजी की पूजा होने लगी.


प्रथम पूजा के अधिकारी
वैसे भी गणेश प्रथम पूज्य हैं. कोई भी पूजा और धार्मिक अनुष्ठान उनकी पूजा के बाद ही शुरू होता है और बिना उनकी पूजा के पूरा नहीं होता. इसीलिए सभी अनुष्ठान शुरू करने के लिए विघ्न विनाशक की पूजा होती है.