जोशीमठः भूधंसाव का दर्द झेल रहे जोशीमठ के डिग्री कॉलेज में इन दिनों सर्दियों की छुट्टियां हैं, लेकिन कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स रोज सुबह घर से निकल रहे हैं। इनमें से अधिकतर लड़कियां हैं। कदम कॉलेज की जगह रेडक्रॉस के दफ्तर की तरफ बढ़ जाते हैं। दरअसल अपना दुख-दर्द भुलाकर ये स्टूडेंट्स जोशीमठ को बचाने और उसका दर्द बांटने की असली लड़ाई लड़ रहे हैं। वे हर रोज राहत लेकर मकान-जमीन में आईं दरार से मुश्किल में आए परिवारों तक मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

उत्तराखंड के जोशीमठ में दर्द और आंसुओं के बीच ये उन कुछ कहानियों में से एक है, जो हौसला बढ़ा रही हैं। फिर से खड़े होने का जज्बा फूंक रही हैं। इस कहानी के हीरो हैं, वे युवा जिनके घर भूधंसाव की जद में आ चुके हैं, लेकिन वे अपना गम भूल मदद में जुटे हैं। कॉलेज में पढ़ने वाले ये स्टूटेंड्स रेडक्रॉस का हिस्सा हैं और प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचाने की मुहिम में जुटे हुए हैं।

 

खुद के घर में दरारें, दूसरों का दर्द बांटने निकल पड़ीं

नवभारत टाइम्स ऑनलाइन जब जोशीमठ पहुंचा, तो तहसील में ये स्टूडेंट्स वहां जुटे मिले। रेडक्रॉस की ड्रेस पहने ये स्टूडेंट्स अपने राहत मिशन की रणनीति बना रहे थे। इस टीम से जुड़ीं सिंहधार की रहने वालीं सेकंड ईयर की छात्रा मोनिका पंवार बताती हैं कि उनकी टीम रोज सुबह घर से निकलती है। सभी रेडक्रॉस के दफ्तर में जुटते हैं। इसके बाद सभी टीमें प्रभावित इलाकों के सर्वे के लिए निकल पड़ती हैं। फिर जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने का काम शुरू होता है।
मदद में जुटीं 18 स्टूडेंट्स के घर हैं डैमेज

जमीन धंसने से जोशीमठ के सबसे प्रभावित इलाकों में सिंहधार भी है। मोनिका के खुद के घर में दरारें हैं। गोशाला टूटने वाली है। बावजूद इसके वह दूसरे के दर्द बांटने में जुटी हैं। मोनिका बताती हैं उनकी टीम में दो लड़कियां गीता और अंकिता ऐसी भी हैं, जिन्हें अपना घर खाली करना पड़ा है। उनका परिवार होटलों में शिफ्ट किया गया है। इस टीम की एक और मेंबर लवली राणा का घर नरसिंह मंदिर के इलाके में है। लवली बताती हैं कि उनका घर अभी खतरे की जद में नहीं हैं, लेकिन जोशीमठ का दर्द उन्हें परेशान कर रहा है। जरूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए वह इस मुहिम में जुटी हैं। लवली बताती हैं कि सभी लड़कियां रोज सुबह रेडक्रॉस ऑफिस में जुटती हैं।

इस टीम से जुड़े समाजसेवी ओमप्रकाश डोभाल इन टीमों के बीच कॉर्डिनेशन का काम कर रहे हैं। डोभाल कहते हैं जोशीमठ नौ वॉर्डों में बंटा है। डोभाल बताते हैं कि जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने के लिए यूथ रेडक्रॉस की नौ टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें हर दिन सभी वॉर्ड्स में जाती हैं। हर टीम में पांच स्टूडेंस् होते हैं।उन्होंने बताया कि कुल 45 बच्चे इस मुहिम में जुटे हैं। इसमें 30 लड़कियां और 15 लड़के हैं। डोभाल इस बच्चों के जज्बे से बहुत प्रभावित नजर आते हैं। उनके मुताबिक इन 30 लड़कियों में से 18 ऐसी हैं, जिनके खुद के घर डैमेज हैं, इसके बावजूद वह अपना गम भुलाकर जोशीमठवासियों का दर्द बांटने में लगी हैं।

न्यूज़ सोर्स : ag