इंदौर । पूरे देश में स्वच्छता में नंबर वन, प्रदेश में सबसे ज्यादा सीए देने वाला शहर, प्रदेश की आर्थिक राजधानी समेत इंदौर के नाम कई उपलब्धियां हैं। आइआइएम और आइआइटी होने से यह शिक्षा का गढ़ भी माना जाता है और अब तो शोध के क्षेत्र में भी इंदौर के सिर ताज सजने लगा है। सोशल वर्क में शोध करने देशभर से शोधार्थी इंदौर आते हैं। इसकी वजह है यहां स्थित इंदौर स्कूल आफ सोशल वर्क।1951 में स्थापित हुए संस्थान में सोशल वर्क पाठ्यक्रम के लिए मध्य भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय है।

यहां पीएचडी करने के लिए हर साल करीब आठ लोग आते हैं। वहीं हर साल करीब 20 बच्चे लघु शोध के लिए आते हैं। सोशल वर्क कोर्स के लिए मध्य भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय इंदौर में है। इंदौर स्कूल आफ सोशल वर्क में कोर्स से जुड़ी करीब 10 हजार किताबें हैं। वहीं, देश की बात करें तो इस पाठ्यक्रम का सबसे बड़ा पुस्तकालय मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस में है। यही कारण है कि सोशल वर्क में शोध और इस दिशा में बेहतर ज्ञान के लिए देशभर से विद्यार्थी इंदौर का रुख कर रहे हैं।

इंदौर स्कूल आफ सोशल वर्क के शिक्षक डा. आनंद कुमार ने बताया कि पुस्तकालय में स्कूल के छात्र और शोधार्थी के अलावा बाहरी छात्रों की भी काफी उत्सुकता रहती है। कई बार दूसरे संस्थान में सोशल वर्क का कोर्स कर रहे छात्र भी यहां के पुस्तकालय में आना चाहते हैं। यह छात्र शोध के लिए नहीं बल्कि सोशल वर्क के ज्ञान के लिए पुस्तकालय में आने के इच्छुक होते हैं। ऐसे छात्रों को केवल पुस्तकालय में बैठकर ही किताबें पढ़ने की अनुमति दी जाती है।