होली रंगों का त्योहार है। यह हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं। लोग इस दिन एक दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हैं और खुशियां मनाते हैं। लेकिन, देश में कई जगह ऐसी हैं जहां रंगों से नहीं बल्कि अलग अलग तरीकों से होली खेली जाती हैं। ऐसी ही एक जगह के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं जहां भाभियां अपने देवर पर कोड़े बरसाकर होली खेलती हैं। 
राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में होली पर कोड़े बरसाती हैं। यह परंपरा बरसों पुरानी हैं। होली के दिन जब टोलियां रंग खेलने के लिए निकलती हैं तो उन पर महिलाएं कोड़े बरसाती हैं हालांकि, यह कोड़े रंगों में भिगे होते हैं। वहीं, जब भी कोई देवर भाभी को रंग लगाने के लिए आते हैं तब भी भाभी सुती कपड़े से बने कोड़े को रंगों में भिगोकर देवर पर बरसाती हैं। हालांकि, इसके बाद भाभी अपने देवर को शगुन के तौर पर नेग भी देती है।

200 साल पुरानी है होली की यह परंपरा
मान्यताओं के अनुसार, होली की यह परंपरा करीब 200 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इसके अलावा आपको कोड़ी मारने वाली होली का नजारा कोचचा और भीलवाड़ा में भी देखने को मिलेगा। लोग दो तीन दिन पहले से इसकी तैयारी शुरु कर देते हैं।

अजमेर में भी दिखेगा होली का अदभूत नजारा
अजमेर में भी कोड़ी मार होली का अदभूत नजारा देखने को मिलेगा। यहां भिनाय में महिलाएं और पुरुष दोनों की टोलियां एक दूसरे के आमने सामने होती हैं। दोनों समूह ही इतने जोश के साथ होली खेलते हैं की वहां मौजूद सभी लोग दंग रहते हैं। पुरुषों की टोली महिलाओं पर रंग लगाने के लिए जाती हैं और महिलाएं अपना बचाव करते हुए उन पर कोड़े बरसाती हैं।