गोरखपुर| गोरखपुर के माथे से खूनखराबे और पिछड़ेपन का दाग अब धुलने लगा है। विकास के पथ पर तेजी से दौड़ रही गोरक्षनगरी को अब औद्योगिक हब के रूप में नई पहचान मिलने लगी है। एम्स, फर्टिलाइजर के बाद गीडा में अंकुर उद्योग, गैलेंट इस्पात की सीमेंट फैक्ट्री पहले ही लग चुकी है। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से करीब दस हजार लोगों को रोजगार मिल चुका है और अब पेप्सिको का प्लांट लगने से 11 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसके अलावा 350 कंपनियों ने गीडा में 1.71 लाख करोड़ के निवेश का अनुबंध इनवेस्टर समिट में किया है, इससे भी करीब दो लाख रोजगार का सृजन होगा।

वहीं, गोरखपुर विश्वविद्यालय सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों में 150 से ज्यादा रोजगार वाले पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। यानी तकनीकी रूप से दक्ष होने के बाद युवाओं को नौकरी खोजने के लिए हैदराबाद, बंगलुरू या दिल्ली, एनसीआर जैसे बड़े शहरों की तरफ नहीं जाना पड़ेगा। आने वाले दिनों में यहीं पर बेहतर शिक्षा के बाद नौकरी भी मिलेगी।

यूपी ग्लोबल इनवेस्टर समिट की उपलब्धियों के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं। गोरखपुर टॉप फाइव रैंकिंग वालों में शुमार है। इनवेस्टर समिट में निवेश जुटाने के मामले में प्रदेश के सभी 75 जिलों में पूर्वांचल को लीड करते हुए गोरखपुर ओवरऑल गौरवपूर्ण चौथे पायदान पर रहा। जीआईएस की उपलब्धियों को गोरखपुर के लिहाज से (एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश) देखें तो यहां पेपर मिल प्रोजेक्ट के लिए आरजी स्ट्रेटजी ग्रुप में 2935 करोड़ रुपये के निवेश का करार किया है।

एलपीजी पाइप लाइन के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की तरफ से 1800 करोड़, बांस आधारित उत्पाद के लिए आर्टिजन एग्रोटेक की तरफ से 1400 करोड़, एथेनॉल और डिस्टलरी के लिए केयान डिस्टलरीज की तरफ से 1200 करोड़ तथा कार्बोनेटेड ड्रिंक, फ्रूट पल्प प्लांट के लिए वरुण वेवरेजेज (पेप्सिको की फ्रेंचाइजी) की तरफ से 1071 करोड़ रुपये के निवेश का एमओयू हुआ। गोरखपुर जिले को होटल एंड हॉस्पिटैलिटी, रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट, हॉस्पिटल, हैवी इंजीनियरिंग आदि सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर निवेश प्रस्ताव मिले। इन सारे निवेश से करीब दो लाख रोजगार का सृजन होने वाला है। जबकि, पूर्व के उद्योगों के लगने से 21 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल चुका है।

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालय में बहुत सारे रोजगारपरक पाठ्यक्रम चल रहे हैं। बीटेक के अलावा एमबीए, बीसीए, बीबीए, बीफॉर्मा की पढ़ाई के लिए छात्रों में आकर्षण है। हम स्किल ट्रेनिंग भी दे रहे हैं ताकि रोजगार मिलने में मदद मिले। इसका परिणाम है कि इस वर्ष एक हजार से ज्यादा छात्रों को नौकरी मिल चुकी है। गोरखपुर में तीन अन्य यूनिवर्सिटी व तकनीकी कॉलेज हैं, जिसके चलते युवाओं को रोजगारपरक पढ़ाई का अवसर प्राप्त हो रहा है।

सीएम की सोच में है हैदराबाद-सिंकदराबाद

पूर्व अध्यक्ष चैंबर ऑफ इंड्रस्ट्री एसके अग्रवाल ने कहा कि गीडा की परिकल्पना ही नया गोरखपुर बसाने के लिए की गई थी। मुझे लगता है कि सिकंदराबाद और हैदराबाद की तरह इस शहर को विकसित करने की सोच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है। आने वाले दिनों में गोरखपुर भी नोएडा की तरह विकसित हो जाएगा। उद्योग, होटल, मल्टीनेशनल बिल्डिंग के साथ चार विश्वविद्यालय यहां हैं। अभी बहुत सारे उद्योगों के आने की संभावना है। जिसकी शुरूआत हो चुकी है। मेरे ख्याल से यह उद्योग और एजुकेशन का यह बड़ा हब बनने जा रहा है। जिसके बाद गोरखपुर की पहचान विकसित शहरों में की जाएगी।