भोपाल    नगर निगम परिषद की दूसरी मीटिंग सुबह 11.30 बजे से चल रही है। अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने सबसे पहले कुर्सी को प्रणाम किया। इसके बाद राष्ट्रगीत गाया गया। कांग्रेस पार्षद मो. सगीर व्हील चेयर पर मीटिंग में पहुंचे। उन्हें साथियों ने कुर्सी पर बैठाया। इसके बाद अध्यक्ष ने जोन अध्यक्षों का परिचय कराया। बीच में पार्षद सगीर ने अध्यक्ष को रोककर कहा कि जोन गठन का मामला विवादों में है। इस पर अध्यक्ष ने पहले परिचय होने की बात कहीं और जोन अध्यक्षों का परिचय शुरू किया। परिचय के बाद कांग्रेसी पार्षदों ने कोरोना से मृत हुए लोगों को श्रद्धांजलि नहीं देने का मुद्दा उठाया। इस पर बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने भी यह मुद्दा उठाया। सड़क-पानी के मुद्दे का प्रस्ताव मीटिंग में नहीं रखने पर विपक्ष ने हंगामा कर दिया। बीजेपी पार्षदों की होटल में हुई मीटिंग में ढाई लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए। इस पर कांग्रेसी पार्षदों ने हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष जकी ने अतिक्रमण अधिकारी कमर शाकिब को लेकर प्रश्न लगाया। उन पर पूर्व से की जा रही वसूली, नियुक्ति आदि को लेकर सवाल किए। इस दौरान अतिक्रमण अधिकारी शाकिब भी सदन में मौजूद थे और सुनते रहे। गुलाब उद्यान के पास अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए मामले में विधायक पीसी शर्मा समेत कांग्रेस पार्षदों पर हुई एफआईआर का मुद्दा भी सदन में उठाया गया। नेता प्रतिपक्ष ने शाकिब की योग्यता भी पूछी, लेकिन एमआईसी मेंबर आनंद अग्रवाल जवाब नहीं दे सके तो दूसरे मेंबर रविंद्र यती को जवाब देने उठना पड़ा। नेता प्रतिपक्ष ने राइटिंग में जवाब मांगा और अध्यक्ष की कुर्सी के सामने ही बैठ गईं। इसके बाद अध्यक्ष सूर्यवंशी ने कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी को जांच का आदेश दिया। इससे पहले कांग्रेस पार्षदों ने कहा कि अफसर मोबाइल ही नहीं उठाते। समस्याएं किन्हें बताएं। इस पर कांग्रेस के साथ बीजेपी के पार्षदों ने तालियां बजाकर सहमति जताई। अध्यक्ष सूर्यवंशी ने कमिश्नर कोलसानी से कहा कि यह इश्यू सभी के साथ है। इसे दूर करें। कांग्रेस ने पिछली मीटिंग पर हुए खर्च के बारे में भी पूछा। पार्षद योगेंद्र सिंह गुड्‌डू चौहान समेत अन्य कांग्रेसी पार्षद भी इस मुद्दे पर नाराज हो गए।

कांग्रेस पार्षद सगीर बोले- मैं बुड्ढा हो गया

वार्ड-41 के पार्षद मो. सगीर ने पानी का एक मुद्दा उठाया। इस पर एमआईसी मेंबर रविंद्र यती ने जवाब देना शुरू किया। इस बीच किसी बात को लेकर दोनों में बहस हुई। इस पर पार्षद सगीर बोले कि मैं पांच बार का पार्षद हूं, बुड्‌ढा हो गया हूं। मुझे मत बताईये। इस बीच पार्षद सगीर ने 'बेचारा' शब्द कह दिया। जिस पर मेंबर यती ने आपत्ति ली कि बीजेपी के पार्षद बेचारे नहीं है। पार्षद अजीज उद्दीन ने सिनेमाघरों से लिए जा रहे टैक्स और शहर में जियो मोबाइल टॉवरों की संख्या का मुद्दा उठाया। एमआईसी मेंबर आनंद अग्रवाल ने सवाल का जवाब दिया। वहीं, एमआईसी मेंबर यती ने उल्टे अजीज उद्दीन से सवाल पूछ लिया कि आपका सवाल सिर्फ जियो टॉवरों को लेकर क्यों हैं? भोपाल में दूसरे नेटवर्क के टॉवर भी लगे हैं।

अतिक्रमण अधिकारी को लेकर भी सवाल

इस मीटिंग में कांग्रेस 'शहर सरकार' को कई मुद्दों पर घेरेगी। मीटिंग में पानी-सड़क के मुद्दे उठेंगे तो क्लोरीन गैस रिसाव, अतिक्रमण और चैंबर पर भी हंगामे के आसार है। उधर, सबसे महत्वपूर्ण लालघाटी से सुल्तानिया इन्फेंट्री लाइंस तक की सड़क का नाम शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह रखने के प्रस्ताव को सभी की सहमति से मंजूरी दी जाएगी। नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने कहा कि बल्क कनेक्शन, अतिक्रमण, सड़क समेत कई विषय ऐसे हैं, जो हमने दिए थे लेकिन वे मीटिंग में नहीं रखे जा रहे। बावजूद मीटिंग में कांग्रेस पुरजोर तरीके से जनता से जुड़े मुद्दों को रखेगी।

पिछली मीटिंग हुई थी हंगामेदार

इससे पहले 5 सितंबर को परिषद की मीटिंग हुई थी। इसमें भी टैक्स के मुद्दे पर कांग्रेसी पार्षदों ने 'शहर सरकार' को घेरा था। उन्होंने अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी की आसंदी तक घेर ली थी। कई बार बीजेपी और कांग्रेसी पार्षद आमने-सामने हो गए थे। इसके बाद मीटिंग अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी। अब 3 नवंबर को दूसरी मीटिंग है। इसमें भी विपक्ष कई मुद्दों पर हंगामा करने की बात कह रहा है।

सड़कों की सुध ली जाए, बल्क कनेक्शन की बाध्यता खत्म हो

कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि नगर निगम में काबिज हुए बीजेपी को ढाई महीने बीत चुके हैं। चुनाव में बीजेपी ने वादा किया था कि बल्क कनेक्शन की बाध्यता को खत्म किया जाएगा। फिलहाल इस पर निगम कोई फैसला नहीं कर सका है। इस कारण होशंगाबाद रोड की कॉलोनियों में बल्क कनेक्शन की बाध्यता होने से लोग कनेक्शन नहीं ले पा रहे हैं। लोगों की मांग है कि उन्हें सिंगल यानी व्यक्तिगत कनेक्शन दिए जाए। इससे बेवजह का बोझ नहीं पड़ेगा। दूसरी ओर रहवासी इलाकों की सड़कें बुरे हाल में है। सीएम की नाराजगी के बाद मुख्य सड़कें तो सुधारी जा रही है, लेकिन गली-मोहल्ले, कॉलोनियों की सड़कों पर किसी का ध्यान नहीं है।