बालाघाट जिले का चिन्नौर चावल देश में विदेश में अपने स्वाद, सुगंध एवं पौष्टिक गुणों के कारण विख्यात है। बालाघाट जिले के चिन्नौर को जीआई टैग मिलने के बाद इसके चावल की मांग बड़े शहरों के बाजार में बढ़ गई है। चिन्नौर चावल के उत्पादन को बालाघाट जिले में एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत शामिल किया गया है। इससे जिले के चिन्नौर उत्पादक किसानों को सामान्य धान की तुलना में अधिक आय हो रही है।

वारासिवनी तहसील के ग्राम एकोड़ी के कृषक मुरलीलाल हरिनखेडे पिता श्री जीवनलाल हरिनखेडे ने बताया कि वे अपनी पैतृक भूमि पर प्राकृतिक तरीके से “चिन्नौुर” धान की खेती करते आ रहे हैं। उनके परिवार में विगत तीन पीढियों से ‘’चिन्नौेर’’ धान की खेती की जा रही है। कृषि विभाग, बालाघाट एवं कृषि महाविद्यालय, बालाघाट के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से उन्हें चिन्‍नौर धान का उत्पाषदन 8 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हुआ है, जिसे चिन्नौहर वैली फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, वारासिवनी के माध्यीम से विक्रय करने पर 06 हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव प्राप्त‍ हुआ है, जो कि सामान्यफ मोटे धान की कीमत (न्यू‍नतम समर्थन मूल्यय-2040 रु पये) से तीन गुना है।

कृषक मुरलीलाल ने बताया कि चिन्नौदर धान का उत्पारदन परपंरागत और प्राकृतिक तरीके से करता हॅू, जिससे मुझे अन्यक संकर धानों की तुलना में प्रति एकड उत्पानदन लागत भी कम आती है। मैं अपने खेत में गोबर खाद एवं जैविक कीटरोधी दवाऍ ही इस्तेधमाल करता हॅू क्यों कि प्राकृतिक तरीके से उगाये गये चिन्नौखर धान से प्राप्तक चावल की गुणवत्तास, स्वाकद, सुगंध एवं पौष्टिकता अच्छीध होती है।

वर्तमान समय में चिन्नौ।र धान की खेती चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद किसानों के लिए लाभदायी साबित हो रही है। ‘’बालाघाट चिन्नौ र’’ चावल को जी.आई. टैग प्राप्ता होने के बाद इसका व्याापक प्रचार-प्रसार होने एवं बाजार में मांग बढने के कारण किसानों को चिन्नौिर धान का न्यूखनतम समर्थन मूल्ये से दुगुना-तिगुना अधिक भाव मिल रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।

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