वॉशिंगटन। चीन को बार-बार आगाह करने के बाद भी ड्रेगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन हमेशा से ही अरुणाचल को अपना बताता रहा और भारत हमेशा ही इसका विरोध करता रहा है। अरुणाचल में भारत लगातार विकास कर रहा है यह विकास चीन को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। पीएम मोदी के दौरे से बौखलाए चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर वही पुराना राग अलापना शुरू कर दिया है। चीन की इन्हीं हरकतों पर अब अमेरिका ने भी चीन को जोरदार तमाचा जड़ा है। बाइडेन सरकार ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्‍सा है और चीन की एलएसी पर किसी भी तरह की कार्रवाई का वॉशिंगटन पुरजोर विरोध करेगा। जो बाइडेन की सरकार ने चीन के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्‍ता वेदांत पटेल ने कहा कि अमेरिका अरुणाचल को भारत के अभिन्‍न हिस्‍से के तौर पर मान्‍यता देता है.
बता दें कि अमेर‍िका यह बयान ऐसे समय आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे के बाद चीन की सेना ने इसे अपने देश का हिस्‍सा बताया था। पीएम मोदी के अरुणाचल दौरे से बौखलाए चीनी रक्षा मंत्रालय अरुणाचल को दक्षिणी तिब्‍बत का हिस्‍सा करार दिया था। उन्‍होंने कहा था कि चीन अरुणाचल को कभी भारत के हिस्‍से पर स्‍वीकार नहीं किया है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने पूर्वोत्‍तर में विकास की प्रक्रिया को रफ्तार दी है। कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए लगातार सड़क और अन्‍य साधनों को अपग्रेड किया है। इसी साल पीएम मोदी ने 9 मार्च 2024 को तवांग को ऑल वेदर रोड से जोड़ने वाले सेला टनल को देश को समर्पित किया था। यह सुरंग समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। इस टनल से किसी भी मौसम में तवांग आना और जाना आसान हो जाएगा। बता दें कि बारिश या फिर सर्दी में तवांग जाना काफी कठिन हो जाता है. सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है। इससे चीन को मिर्ची लगी हुई है।
पिछले दिनों विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के हवाले से कहा गया था, ‘हमने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के भूभाग पर बेतुके दावों को आगे बढ़ाते हुए की गई टिप्पणी पर गौर किया है. इस संबंध में निराधार तर्क को दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिलती। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभान्वित होते रहेंगे।