दिल्ली में चल रही BJP की कार्यकारिणी बैठक का आज दूसरा दिन है। पहले दिन यानी सोमवार को सबसे ज्यादा चर्चा गुजरात में पार्टी की जीत के फॉर्मूले की रही। इसी मॉडल को कर्नाटक में आगे बढ़ाया जाएगा। कर्नाटक में मई तक चुनाव होना है। आज चुनावी राज्यों की लीडरशिप का भी टेस्ट होगा। उन्हें अपनी जीत का रोडमैप और इसके लिए क्या तैयारी की है, ये बताना है।

पहले दिन का दूसरा अहम मुद्दा विपक्ष के BJP और PM मोदी के खिलाफ निगेटिव कैम्पेन चलाने और अभद्र भाषा के इस्तेमाल का रहा। पेगासस, नोटबंदी, ED, मनी लॉन्ड्रिंग, राफेल और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जैसे मुद्दों पर विपक्ष के हमलावर रवैये से कानूनी तरीके से निपटने की तारीफ भी हुई। इससे सबक निकला कि विपक्ष के दबाव में न आकर पूरी ताकत से निपटना है।

मीटिंग वाली जगह पर वंदे भारत ट्रेन, राफेल फाइटर जेट, ड्रोन और रॉकेट के पोस्टर लगे हैं। मतलब साफ है आने वाले चुनावों में BJP मोदी सरकार की इन उपलब्धियों को भी भुनाएगी।

राज्यों की लीडरशिप को सलाह- विपक्ष के आरोपों में घिरे नहीं, घेरें
बैठक में मौजूद हमारे सोर्स ने बताया- ‘विपक्ष के हमलावर रवैये से निपटने की प्रक्रिया पर बात करने के लिए काफी समय इसलिए दिया गया ताकि चुनावी राज्यों के मुखिया अपना मनोबल ऊंचा रखें। वे विपक्ष के किसी आरोप पर घिरे नहीं बल्कि घेरें।’

‘हाईकमान ने चुनावी राज्यों की लीडरशिप से जीत की रणनीति के ड्राफ्ट मंगाए थे। छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की लीडरशिप ने अपने ड्राफ्ट पर चर्चा शुरू की, लेकिन उन्हें बीच में रोककर इसे और पुख्ता करने की सलाह दी गई। इसके बाद इसे 17 जनवरी को चर्चा के लिए रख लिया गया।’

दूसरे दिन चुनावी राज्यों की रणनीति तय होगी, मुद्दे जिन पर चर्चा होगी…

  1. चुनावी राज्यों की रणनीति में संशोधन के सुझाव दिए जाएंगे, लीडरशिप बताएगी कि नए वोटरों को साथ लाने के लिए अब तक क्या किया गया।
  2. राजस्थान और छत्तीसगढ़, जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां विपक्ष को धराशायी करने के लिए अब तक क्या किया गया और आगे क्या रणनीति है।
  3. दक्षिण का द्वार कर्नाटक बेहद अहम है, लिहाजा उसे बचाने नहीं, बल्कि उसे गुजरात की तरह दक्षिण का मॉडल बनाने के लिए क्या किया जाए।
  4. सबसे अहम एक सवाल राज्यों की लीडरशिप से पूछा जाएगा कि अगर आज चुनाव हो जाएं तो वे खुद को कहां खड़ा पाएंगे, वे खुद को जितनी सीटें देंगे, उसका तर्क उन्हें बताना होगा।
  5. RSS और उससे जुड़े संगठनों की मदद कैसे ली जा सकती है, इस पर भी विचार होगा।
  6. गुजरात में गैंगरेप विक्टिम बिलकिस बानो के दोषियों को रिहा करने का फैसला चुनावी मुद्दा बना। माना गया कि इससे ध्रुवीकरण हुआ और हिंदू वोटर एक तरफ हो गए। इस तरह के मुद्दों की लिस्ट बनाने का हर राज्य को निर्देश दिया जा सकता है।
  7. किस राज्य में कौन सा स्टार कैंपेनर जाना चाहिए, इसके लिए राज्य से सुझाव भी लिए जाएंगे। हालांकि यह अभी तय नहीं होगा। सुझाव पर मंथन और हाईकमान की राय के बाद फैसला लिया जाएगा।

गुजरात का फॉर्मूला, जो चुनावी राज्यों में लाया जा सकता है...
2018 के चुनाव में गुजरात BJP के हाथ से फिसलते-फिसलते बचा था। पार्टी को 182 में से 101 सीटें ही मिली थीं। 2022 में ऐसा न हो इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह, PM नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा केंद्रीय मंत्री लगातार राज्य में रैलियां करते रहे। चुनाव से 20 दिन पहले 150 से ज्यादा जनसभाएं हुईं। इनमें 35 से ज्यादा PM मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की थीं। इसी दौरान बिलकिस केस के दोषियों की रिहाई जैसे फैसले हुए।

 

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