सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र न्याय के देवता शनि देव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से उन्हें फल देते हैं. शनि देव को सारे ग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है. देश भर में शनिदेव के कई प्राचीन मंदिर बने हैं. हर मंदिर की अलग अलग मान्यता है. हिंदू धर्म में शनि देव का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. शनिदेव साक्षात रूद्र हैं. ज्योतिष शास्त्र में यह भी बताया गया है कि शनि देव न्याय के देवता हैं और समस्त देवताओं में शनिदेव ही एक मात्र ऐसे देवता है. जिनकी पूजा प्रेम के कारण नहीं बल्कि डर के कारण की जाती है. शनिदेव कर्मों के अनुसार सभी को फल प्रदान करते हैं. जिस जातक के अच्छे कर्म होते हैं. उन पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है और और जो व्यक्ति बुरे कर्मों में लिप्त रहता है. उन पर शनिदेव का प्रकोप बरसता है.

आप सभी ने शनि देव के अधिकतम मंदिरों में उन्हें शिला रूप में विराजित देखा होगा लेकिन शनि देव के चतुर्भुज रूप के दर्शन की भी विशेष महिमा है. जबलपुर रेलवे स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर रामपुर छापर क्षेत्र पर स्थित है.  यहां पर शनि देव अपने साकार चतुर्भुज रूप में विराजित है. शनिदेव के चतुर्भुज रूप के दर्शन बहुत कम मंदिरों में ही मिलते है .जबलपुर का चतुर्भुज शनिदेव का मंदिर उन्ही विशेष मंदिरों में से एक है.

अनोखा है शानी देव का यह मंदिर
मंदिर के पुजारी आचार्य विवेक तिवारी ने कहा कि शनिदेव का यह मंदिर अन्य मंदिरों की तरह ना तो भव्य है और ना ही व्यवस्थाओं से भरा हुआ है. यह मंदिर उतना ही साधारण है जितनी अनोखी यहां पर स्थापित शनिदेव की यह प्रतिमा है. यहां पर शनि देव अपने साक्षात चतुर्भुज रूप में विराजित हैं.जिनके दर्शन मात्र से मनुष्य की जिंदगी में आई समस्त दुविधाएं दूर हो जाती है.मंदिर के पुजारी के मुताबिक शनिदेव स्वयं छाया के देवता है और ऐसे में स्वयं छाया के देवता को अपने ऊपर छाया की जरूरत नहीं होती इसलिए जिस जगह पर शनिदेव की यह चतुर्भुज प्रतिभा स्थापित है वहां पर मंदिर निर्माण नहीं करवाया गया है सिर्फ बारिश से रक्षा हेतु एक शेड ऊपर लगाया गया है और चारों तरफ से यह मंदिर भक्तों के लिए खुला हुआ है.

घर की दिशा की ओर नही किया जाता शनि देव को स्थापित
मंदिर के पुजारी आचार्य विवेक तिवारी ने बताया कि मंदिर में शनि देव को घर की दिशा से दूसरी दिशा में स्थापित किया गया है.उनका कहना है घर की दिशा की ओर शनिदेव की सीधी वक्र दृष्टि एक अच्छा संकेत नहीं देती है इसलिए उन्हें दूसरी दिशा में स्थापित किया गया है ताकि उनकी वक्र दृष्टि सीधे घर पर ना पड़े.

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