रामायण का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान है. इसमें भगवान राम और देवी सीता के जन्म एवं जीवन यात्रा का वर्णन है. हम में से अधिकांश लोगों को रामायण की कहानी पता है, लेकिन इस महाकाव्य से जुड़े कुछ ऐसे भी रहस्य हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. वैसे तो आप रामायण और भगवान राम से जुड़े सभी पात्रों से वाकिफ होंगे लेकिन शायद आपको ये नहीं पता होगा कि भगवान राम की एक सगी बहन और बहनोई भी थे.

राजा दशरथ और रानी कौशल्या की पहली संतान एक पुत्री थी. जिसका नाम शांता था. शांता भगवान श्रीराम की बड़ी बहन थी. पुराणों के अनुसार शांता बुद्धिमान होने के साथ-साथ अनेक कार्यों में निपुण थीं.शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से हुआ था. जिनका आश्रम बस्ती अयोध्या बॉर्डर पर सरयू नदी के तट पर शेखाघाट पर स्थित है.

श्रृंगी ऋषि ने किया था आश्रम का निर्माण
मान्यता के अनुसार, जब राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने गुरू वशिष्ठ के कहने पर श्रृंगी ऋषि से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था. जिसके बाद भगवान राम सहित तीनों भाइयों अवतरित हुए थे. यज्ञ के उपरांत बस्ती जनपद के घने जंगलों में रहकर तपस्या कर रही राजा दशरथ और माता कौशल्या की बड़ी पुत्री शांता देवी से श्रृंगी ऋषि की शादी हो गई थी. बाद में माता शांता के शरीर त्याग करने के बाद श्रृंगी ऋषि द्वारा ही श्रृंगीनारी में माता शांता देवी के याद में मंदिर का निर्माण करवाया गया था जो आज भी मौजूद है.

अद्भुत है आश्रम की महिमा
आश्रम के पुजारी महेंद्र गोस्वामी ने बताया कि यह मेरी चौथी पीढी है जो महर्षि श्रृंगी के आश्रम में रहकर उनकी सेवा कर रही है. यह आश्रम एकदम सरयू नदी के तट पर स्थित है. यहां हर साल बाढ़ आती है. जिसमें लाखों गांव जलमग्न हो जाते हैं लेकिन श्रृंगी ऋषि के आश्रम की ऐसी महिमा है की सरयू माता आती हैं और बाबा के चरणों को प्रणाम कर वापस चली जाती हैं. कभी भी सरयू का पानी मंदिर के अन्दर नहीं आया. यहां कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र रामनवमी और चिरैया नक्षत्र पर मेला लगता है.