रामराज का संदेश लेकर वॉटर वूमेन के नाम से ख्यात शिप्रा पाठक अयोध्या से रामेश्वरम तक अलौकिक पद यात्रा शुरू  कर दी है। शिप्रा भगवान राम के वनवास काल के पद चिह्नों वाले मार्ग पर चलेंगी। करीब चार हजार किलोमीटर की उनकी यह यात्रा लक्ष्मण किला से  शुरू  हो गई है। । केंद्रीय जल मंत्री प्रहलाद पटेल उन्हें झंडी  रवाना किया।  । शिप्रा इस तरह की पदयात्रा करने वाली देश की पहली मातृशक्ति होंगी।

शिप्रा बदायूं के दातागंज की रहने वाली हैं।   उन्होंने बताया कि यूपी में अयोध्या से यात्रा शुरू होकर सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, चित्रकूट होते हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र से रामेश्वरम तमिलनाडु तक जाएगी। उनका कहना है कि भगवान राम अब अपने घर में विराजमान होने वाले हैं। यह रामराज्य की पुनर्स्थापना का दौर है। नदियों और जंगलों का स्वरूप और पर्यावरण उसी काल जैसा होना चाहिए।

सतयुग की तरह हो नदियों-जंगलों का स्वरूप
शिप्रा के मुताबिक, उनकी पदयात्रा का उद्देश्य यह बताना है कि राम के नाम पर सिर्फ मंदिर ही न बने, उनके वन गमन मार्ग पर सिर्फ स्तंभ ही न लगें, बल्कि उस मार्ग को हरा-भरा भी किया जाए। जिन नदियों का राम जी ने पूजन किया था, वह पुराने स्वरूप में आएं। उस मार्ग के जंगल सतयुग काल की तरह विकसित हों। वह गांवों, कस्बों व शहरों में लोगों को जल, जंगल और पर्यावरण बचाने का संदेश देंगी।
जानकी महिमा के गुणगान से शुरू होगी यात्रा
शिप्रा का कहना है कि आधुनिकता के दौर में महिलाएं भ्रमित हो गई हैं। इस वजह से नई पीढ़ी को मां जानकी जैसा आदर्श बनने के लिए प्रेरित करना है। मातृशक्ति को मां सीता के चरित्र से परिचित कराना है। मां सरयू के पूजन के बाद मां जानकी की महिमा के गुणगान से ही पदयात्रा शुरू होगी।

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