जिस भाई की उसकी बहन और पूरा परिवार मरा हुआ मानकर तलाश करना बंद कर दी थी, वह पाकिस्तान की लाहौर जेल में पिछले पांच साल से सजा काट रहा है। ये बेबस कहानी है महकेपार में रहने वालीं संघमित्रा खोब्रागढ़े के छोटे भाई की। संघमित्रा, शुक्रवार को अपने भाई की रिहाई की गुहार लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचीं। संघमित्रा ने बताया कि उसका भाई प्रसन्नजीत रंगारी उम्र-35 वर्ष 2011 में मानसिक विक्षिप्त हो गया था। जबलपुर से बी-फार्मा की पढ़ाई लगभग पूरी कर चुका प्रसन्नजीत कुछ साल तक गांव-गांव भटकता था, रिश्तेदारों के घर आता-जाता था, लेकिन 2018 में वह लापता हो गया। जगह-जगह तलाशने के बाद उसकी कोई खबर नहीं लगी। परिवार व रिश्तेदार ये मानकर उसे भूल चुके थे कि वह मर चुका है, लेकिन दिसंबर 2021 को जम्मू में रहने वाले कुलजीत सिंह कछवाह ने फोन पर सूचना दी कि उसका भाई प्रसन्नजीत जिंदा है और पाकिस्तान की लाहौर जेल में कैद है। संघमित्रा ने बताया कि कुलजीत सिंह कछवाह वही शख्स है, जो 2021 में उसी जेल से 20 साल की सजा काटकर बाहर निकला था।

 

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