कृषि क्षेत्र में महिला श्रमिकों का आंकड़ा सर्वाधिक है. इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बारी आती है. वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey - PLFS) रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, देश भर में कृषि क्षेत्र में लगभग 63% श्रमिक महिलाएं हैं, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में महिला श्रमिकों की अनुमानित संख्या 11.2% है. श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार के लिए, सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में कई सुरक्षात्मक प्रावधान शामिल किए हैं. इनमें सवैतनिक मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना, 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में अनिवार्य क्रेच सुविधा का प्रावधान, पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ रात की पाली में महिला कर्मचारियों को अनुमति देना आदि शामिल हैं. खुली खानों सहित उपरोक्त भूमिगत खदानों में महिलाओं को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक और भूमिगत खदानों में सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक तकनीकी, पर्यवेक्षी और प्रबंधकीय कार्यों में काम करने की अनुमति दी गई है, जहां निरंतर उपस्थिति की आवश्यकता नहीं हो सकती है. केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ये बात कही. वेतन समानता पर जोर देते हुए, मंत्री ने कहा कि समान कार्य या समान प्रकृति के कार्य के संबंध में समान नियोक्ता द्वारा वेतन भुगतान के मामले में कर्मचारियों के बीच किसी प्रतिष्ठान या किसी भी इकाई में कोई लैंगिक भेदभाव नहीं होगा. समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976, जिसे अब वेतन संहिता, 2019 में शामिल किया गया है. मंत्री रामेश्वर ने आगे कहा, कोई भी नियोक्ता रोजगार की शर्तों में समान काम या समान प्रकृति के काम के लिए किसी भी कर्मचारी की भर्ती करते समय लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा, सिवाय इसके कि ऐसे काम में महिलाओं का रोजगार किसी भी कानून के तहत निषिद्ध या प्रतिबंधित है. महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के एक नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण दे रही है. PLFS रिपोर्ट 2021-22 से पता चला है कि हरियाणा में 15 साल और उससे अधिक उम्र की सामान्य स्थिति में अनुमानित महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 19.1% है. जिलेवार अनुमानों को PLFS रिपोर्ट में शामिल नहीं किया जाता है. आपको बता दें कि आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR), बेरोजगारी दर (UR), आदि जैसे प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान देता है.  एक रिपोर्ट बताती है कि रियल एस्टेट में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के 50 मिलियन के मुकाबले सिर्फ 7 मिलियन होने का अनुमान है। इसके साथ ही कंपनियों में प्रमुख पदों पर उनके वेतन में भी 15% तक की वेतन असमानता है।

MSME सेक्टर में 24% है महिलाओं की भागीदारी

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र देश में रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर पैदा करता है. इस सेक्टर ने अन्य उद्योगों की तुलना में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी की अपेक्षाकृत उच्च दर दर्ज की है. एमएसएमई सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी 24 प्रतिशत है. यह बात CIEL HR एनालिसिस स्टडी के निष्कर्षों से सामने आई है. CIEL HR सर्विसेज, स्टाफिंग और रिक्रूटमेंट फर्म द्वारा आयोजित ‘MSME क्षेत्र में रोजगार के रुझान’ शीर्षक वाले अध्ययन में आगे कहा गया है कि 20 प्रतिशत से अधिक प्रोपराइटरी एमएसएमई का स्वामित्व महिलाओं के पास है. इसमें 23.4 प्रतिशत के साथ पश्चिम बंगाल आगे है और उसके बाद 10.4 प्रतिशत के साथ तमिलनाडु है. अध्ययन से यह भी पता चला है कि हालांकि MSME क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी अधिक है लेकिन नेतृत्व स्तर पर उनकी भागीदारी केवल 10 प्रतिशत है, जो कि निराशाजनक है. 

न्यूज़ सोर्स : ipm