भोपाल। देश में जल बंटवारे को लेकर कई राज्यों में विवाद की स्थिति बनी है। मध्य प्रदेश का भी महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान से जल बंटवाने पर विवाद चल रहा है। उप्र से केन-बेतवा परियोजना में पानी को बंटवारे पर विवाद था। जिसेे केंद्र सरकार के दखल के बाद मप्र को अपने हिस्से का पानी का कुछ हिस्सा छोड़कर विवाद निपटाना पड़ा है। जबकि सरदार सरोवर बांध से बिजली उत्पादन और पानी के बंटवारे पर गुजरात से तनानती होती रहती है। गुजरात हमेशा मप्र को आंखें दिखाता रहता है। महाराष्ट्र से पेंच नदी परियोजना और राजस्थान से चंबल बेसिन और नर्मदा जल के बंटवारे पर विवाद जारी है। इन विवादों पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री Gajendra Singh Shekhawat ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहींं दी।

शेखावत रविवार को केंद्र सरकार के बजट का प्रचार करने के लिए विशेष रूप से भोपाल आए थे। उन्होंने भोपाल मेें प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा में मप्र के पड़ोसी राज्यों चल रहे जल बंटवारे विवाद पर कोर्ट का हवाला देकर प्रतिक्रिया देने से साफ इंकार कर दिया था। शेखावत से पूछा गया कि नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध से पानी और बिजली के बंटवारे पर गुजरात समझौते की शर्तो्र का पालन नहीं कर रहा है। चंबल नदी और गांधी सागर बांध के जल बंटवारे पर भी राजस्थान मनमानी कर रहा है। महाराष्ट्र से भी विवाद चल रहा है। जिस पर मंत्री ने कहा कि ये सब मामले कोर्ट में है। जब उनसे पूछा कि राजस्थान चंबल नदी पर समझौते की विपरीत जाकर बांध बना रहा है। जब बाढ़ आती है तो मप्र के चंबल संभाग के जिलों में भारी तबाही होती है। इसके लिए क्या योजना है। जिस पर मंत्री ने कहा कि केंद्र्रीय मंत्री होने के नाते उन्हें सभी राज्यों से तालमेल बनाकर बोलना होता है। उन्होंने जल विवाद पर मप्र के अधिकारों पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी।

न्यूज़ सोर्स : ipm