भारत की राजधानी से सटे, हरियाणा राज्य के छोटे-छोटे गाँव इन दिनों सुर्खियों में हैं. देश के उत्तर पश्चिम के इन ग्रामीण इलाक़ों के लिए ये सुर्खियां अप्रत्याशित हैं. यहां के औद्योगिक शहर रोहतक की बस्तियों में किसानों के घरों और आसपास की ज़मीनों की माँग अचानक बढ़ गई है. ये एकाएक फ़िल्म के सेट के रूप में बदल गए हैं.

जहां कभी गायों के रंभाने की आवाज़ आती थी, वहाँ फ़िल्म के निर्देशक को लाइट्स, कैमरा, एक्शन सुनना अब किसी के लिए असामान्य बात नहीं रही है.एक नए स्टार्टअप स्टेज (एसटीएजीई) ने इस इलाक़े में एक उभरते हुए फ़िल्म उद्योग को जन्म दे दिया है.स्टेज नाम की इस कंपनी संस्थापक विनय सिंघल ने बताया, “सत्ता और न्याय पर आधारित एक ड्रामा फ़िल्म ‘बट्टा’ इस इलाक़े में बनी आधा दर्जन फ़िल्मों में सबसे नई है.”

उन्होंने बताया, “हमारे आने से पहले भारत में क़रीब एक दर्जन हरियाणवी फ़िल्में बनी थीं. साल 2019 के बाद से हमने 200 से ज़्यादा फ़िल्में बना दी हैं.”स्टेज क्षेत्रीय इलाक़ों में रहने वाले लोगों की पसंद-नापसंद, ग्रामीण संस्कृति, रहन-सहन, उनके बोलचाल की शैली आदि को ध्यान में रखकर कंटेंट बनाती है.

भारत में 19,500 अलग-अलग बोलियां हैं. उनमें से स्टेज ने 18 भाषाओं और बोलियों का चुनाव किया है. ये वो भाषाएं हैं जो बड़ी आबादी द्वारा बोली जाती हैं और उनके फ़िल्म उद्योग के लिए उपयुक्त हैं.

फ़िलहाल यह कंपनी दो भाषाओं में कंटेंट बनाती है, एक है हरियाणवी और दूसरी है राजस्थानी. इसके लगभग 30 लाख सब्सक्राइबर्स हैं, जो पैसे देकर कंटेंट देखते हैं.यही वजह है कि अब कंपनी की योजना उत्तर-पूर्व और तटीय-पश्चिम इलाक़ों में बोली जाने वाली भाषाएं जैसे मैथिली और कोंकणी में भी कंटेंट बनाने की है.

कंपनी के संस्‍थापक विनय सिंघल और सह-संस्थापक एक साल पहले टेलीविज़न पर प्रसारित हुए एक बिज़नेस रियलिटी शो ‘शार्क टैंक’ के भारतीय वर्ज़न में शामिल हुए थे.इस दौरान उन्होंने बताया था कि, “इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक अमेरिकी पूंजीवादी फर्म से फंडिंग को लेकर जारी हमारी बातचीत अंतिम दौर में है."

न्यूज़ सोर्स : BBC