केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि नीतिगत बदलावों के कारण भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक और उपभोक्ता देश बन गया है। वे भारत शर्करा एवं जैव ऊर्जा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम चलाया है। इसमें इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। पिछले 10 साल में इथेनॉल की बिक्री से सबसे अधिक राजस्व चीनी मिलों को प्राप्त हुआ है।

जोशी ने कहा, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) का उत्सर्जन कम हो रहा है, इससे निवेश के अधिक अवसर सामने आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नई डिस्टलरी की स्थापना की गई है। इससे देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में भी बढ़ोतरी हो रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार एक मजबूत, टिकाऊ चीनी उद्योग के लिए प्रतिबद्ध है। यह देश के लिए मजबूत आर्थिक स्तंभ भी है, इससे देश में अक्षय ऊर्जा को भी बढ़ावा मिल रहा है।

किया जा चुका 99 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान
जोशी ने कहा कि पिछले 10 सालों में गन्ना खेती का क्षेत्रफल लगभग 18 फीसदी बढ़ा है, जबकि गन्ना उत्पादन में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। किसानों और चीनी उद्योग के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने 2018 में चीनी के लिए एमएसपी लागू किया था। उन्होंने कहा कि उद्योग के सहयोग से किसानों को 1.14 लाख करोड़ रुपये में से करीब 99 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। कृषि और हरित ऊर्जा के बीच तालमेल से भारत 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।

ethanol Plant

U.S. ethanol industry banks on carbon capture to solve emissions problem |  Reuters

 

न्यूज़ सोर्स : ipm