उत्तरी अमेरिका में चमगादड़ों की संख्या में भारी गिरावट के कारण किसानों ने कीटों से फसलों की रक्षा के लिए वैकल्पिक रूप से कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा दिया. इससे नवजात शिशुओं की मौतों में इजाफा हुआ है. एक वैज्ञानिक अध्ययन में गुरुवार को यह खुलासा किया गया. 

शोधकर्ता, शिकागो यूनिवर्सिटी के इयाल फ्रैंक ने एएफपी को बताया, "पारिस्थितिकीविद लंबे समय से चेतावनी दे रहे हैं कि हम तेजी से प्रजातियां खो रहे हैं. और इसका मानवता पर गंभीर प्रभाव हो सकता है. हालांकि, इन भविष्यवाणियों के लिए बहुत अधिक ठोस सबूत नहीं थे क्योंकि बड़े पैमाने पर एक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करना बहुत मुश्किल होता है." 

कैसे हुआ अध्ययन

फ्रैंक ने अपने अध्ययन के लिए एक "प्राकृतिक प्रयोग" का इस्तेमाल किया, जिसमें एक घातक बीमारी ने अचानक चमगादड़ों की संख्या कम कर दी. इससे कीट नियंत्रण में उनका योगदान कम हो गया.

 2006 में न्यूयॉर्क से शुरू हुई व्हाइट-नोज सिंड्रोम नामक फफूंद से जन्मी बीमारी ने पूरे अमेरिका में फैलते हुए चमगादड़ों को सर्दियों में हाइबरनेशन से जगा दिया. सर्दियों में कीट कम हो जाते हैं और चमगादड़ों को खाने के लिए कीट नहीं मिले. इससे उनकी ऊर्जा खत्म हो गई और बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत हो गई.

फ्रैंक ने पूर्वी अमेरिका में सिंड्रोम के फैलाव का अध्ययन किया और प्रभावित और अप्रभावित इलाकों में कीटनाशकों के प्रयोग की तुलना की. उन्होंने पाया कि जिन इलाकों में चमगादड़ों की संख्या घटी थी, वहां कीटनाशकों का इस्तेमाल 31 प्रतिशत बढ़ गया था.

चूंकि कीटनाशकों और खराब स्वास्थ्य परिणामों के बीच संबंध स्थापित हो चुका है, फ्रैंक ने यह भी जांचा कि क्या कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से शिशु मृत्यु दर बढ़ी है. उन्होंने पाया कि कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल से शिशु मृत्यु दर लगभग 8 प्रतिशत बढ़ गई, जो कि 1,334 अतिरिक्त शिशु मौतों के बराबर है. यह उन्हीं इलाकों में देखा गया जिन्हें चमगादड़ों की बीमारी ने प्रभावित किया. विशेषज्ञों के मुताबिक संभवतः दूषित पानी और हवा के माध्यम से ये रसायन मानव शरीर में प्रवेश कर रहे हैं.

वन्यजीवों की सुरक्षा जरूरी

फ्रैंक ने जोर देकर कहा कि यह इत्तेफाक नहीं है, बल्कि चमगादड़ों की संख्या में गिरावट ही शिशु मृत्यु दर में वृद्धि का कारण है, क्योंकि अन्य ग्रामीण समस्याएं जैसे नशीली दवाओं का उपयोग या गरीबी, इस पैटर्न के साथ मेल नहीं खाते.

फ्रैंक ने कहा, "हमें पर्यावरण में कीटनाशकों की उपस्थिति पर बेहतर डेटा की जरूरत है" और इस अध्ययन ने यह भी बताया कि चमगादड़ों की सुरक्षा बेहद जरूरी है. सिंड्रोम के खिलाफ टीके विकसित किए जा रहे हैं, लेकिन चमगादड़ों को आवास की हानि, जलवायु परिवर्तन और पवनचक्कियों से भी खतरा है.

यह अध्ययन वन्यजीवों के नुकसान से पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने में मदद करता है. हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि विस्कॉन्सिन में भेड़ियों की वापसी से सड़कों पर हिरणों से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आई.

 

 

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