नागरिकों की संवेदना से ही बचेगी जल स्रोतों की धारा, पानी बचाने आओ करें पहल

औबेदुल्लागंज। औबेदुल्लागंज के ग्राम पांजिर के घने जगंलों से निकलने वाली बारना नदी के प्रति समुदाय में संवेदना बनाए रखने एवं आसपास के ग्रामों से जा रहीं नदी के बहाव को निरंतर बनाएं रखने के उद्देश्य से जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत मप्र जन अभियान परिषद की नवांकुर संस्था पिपलियागोली द्वारा आदिवासी समुदाय की सहभागिता में श्रमदान, गहरीक,,झाडियों की सफाई, नदी गीत,भजन एवं परंपरागत आयामों से जन जागरण किया जा रहा है। नवांकुर संस्था के अध्यक्ष हरनाम सिंह ककोडिया ने बताया कि हम एक माह से जल स्रोतों पर कार्य कर रहे हैं। लगभग चार दिन से ग्राम डोभ सर्रा पांजिर के आसपास के नदी क्षेत्र में कार्यक्रम कर रहे हैं। नदी -तालाबों एवं जल स्रोतों के प्रति नागरिकों की संवेदना बनाए रखना है ,क्योंकि नदी को बचाने सरकार नहीं आ सकती नागरिकों की संवेदना से ही इसे हमेशा के लिए संरक्षित एवं निरंतर रखा जा सकता है।
नवांकुर संस्थाओं द्वारा ग्राम बढ़वाई में महिगाई डयान खाय जात है जैसे गीतों से देश दुनिया में नाम कर चुकी भजन मण्डली टीम से भी गायन के माध्यम से नदियों तालाबों को बचाने का संदेश दिया जा रहा है। सुलतानपुर,मण्डीदीप एवं चिखलौद सेक्टर में भी स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों एवं जल स्रोतों पर निरंतर जन जागरण एवं श्रमदान कार्य जारी है। गौरतलब है कि बारना नदी गोदर नदी की सहायक नदी है जो ऐतिहासिक बारना डेम में जाकर मिलती है। इनका कहना है
जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत हम क्षेत्र में कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से जन जागरण एवं नदी,तालाब,कुआ,बावड़ी बचाने का संदेश दे रहे हैं। मप्र जन अभियान परिषद सभी नागरिकों एवं क्षेत्र के सामाजिक धार्मिक संगठनों से भी अनुरोध करता है कि वे भी धरती के तापमान को नियंत्रण करने एवं पानी को बचाने आगे आएं। समाजसेवी गर्मी में जीव-जन्तुओं को प्यासा न रहना पड़े इस लिए अपने छोटे-छोटे प्रयास से इस दिशा में कार्य करें।
निशा बहेकार ,ब्लाक समन्वयक मप्र जन अभियान परिषद