अर्थव्यवस्था के भविष्य पर विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 100 से अधिक देशों को अगले कुछ दशकों में उच्च-आय वाले देश बनने में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. इन देशों में चीन, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इस अध्ययन में विकासशील देशों को "मध्यम-आय के जाल" से बचने की सलाह दी गई है.

"विश्व विकास रिपोर्ट 2024: द मिडल इनकम ट्रैप" में बताया गया है कि जैसे-जैसे देश अधिक अमीर होते हैं, वे आमतौर पर लगभग 10 फीसदी अमेरिकी जीडीपी प्रति व्यक्ति की सीमा पर "जाल" में फंस जाते हैं, जो 8,000 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग सात लाख रुपये के बराबर है.

यह संख्या "मध्यम-आय" देशों की सीमा में आती है. 1990 के बाद से, केवल 34 मध्यम-आय वाले देशों ने उच्च-आय वाले देशों की श्रेणी में प्रवेश किया है. इनमें से एक-तिहाई से अधिक यूरोपीय संघ में शामिल होने वाले या फिर वे देश हैं जहां 1990 के बाद तेल के भंडार मिले.

तीन चौथाई आबादी की चुनौतियां

2023 के अंत में, 108 देशों को मध्यम-आय वाले देशों के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिनकी वार्षिक जीडीपी प्रति व्यक्ति 1,136 से 13,845 डॉलर यानी लगभग एक लाख से 12 लाख रुपये के बीच थी. ये देश दुनिया के छह अरब लोगों का घर हैं, यानी दुनिया की तीन चौथाई आबादी और अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लगभग 50 फीसदी लोग इन देशों में रहते हैं.

ये देश वैश्विक जीडीपी का 40 फीसदी से अधिक और कार्बन उत्सर्जन का 60 फीसदी से अधिक पैदा करते हैं. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि इन देशों के लोग अपने पूर्वजों की तुलना में बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जैसे तेजी से बुजुर्ग होती जनसंख्या, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ता संरक्षणवाद और ऊर्जा संक्रमण की आवश्यकता.

विश्व बैंक ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स, इंद्रमित गिल कहते हैं, "वैश्विक आर्थिक समृद्धि की लड़ाई मुख्यतः मध्यम-आय वाले देशों में ही जीती या हारी जाएगी. लेकिन ये देश बहुत से पुरानी रणनीतियों पर निर्भर हैं. वे केवल निवेश पर ही निर्भर रहते हैं, या वे जल्दी में इनोवेशन की ओर बढ़ जाते हैं.”

भारत के आर्थिक भविष्य पर नजर

रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपने आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. दुनिया की सबसे बड़ी और गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो उसकी प्रगति को प्रभावित कर सकती हैं. "वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024" के मुताबिक इनमें छोटे व्यवसायों की चुनौती एक बड़ी बाधा बन सकती है.

 रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कई कंपनियां छोटी रहती हैं और उन्हें बढ़ने में कठिनाई होती है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 90 फीसदी कंपनियों में पांच से कम कर्मचारी हैं और केवल कुछ ही कंपनियां 10 से अधिक कर्मचारियों तक बढ़ पाती हैं. यह प्रवृत्ति भारतीय व्यवसाय के माहौल में मौजूद नियमों और बाजार की बाधाओं का संकेत देती है, जो सफल कंपनियों की वृद्धि को रोकती हैं. 

Challenges of three fourths of population in building a developed India, creativity is only in vulgarity and blind devotion

 

न्यूज़ सोर्स : Agency