आज जब ऐसे ही अल्प भ्रमण पर निकले, तब रास्ते मे अद्भुत बावड़ी को देखने का मौका मिला। 4 बड़े पत्थरो से निर्मित यह बावड़ी बड़ी अद्भुत व अति प्राचीन है, देखने मे छोटी 3 फिट लगभग लम्बाई व चौड़ाई, गहराई में 6 से 7 फिट लगभग गहराई ऊपर से दिखती है, वास्तविक गहराई का कोई पता नही क्योकिं इसमें दो अलग रास्ते दिखाई देते है जो असीमित से दिखाई देते है। यह जिला उज्जैन के, महिदपुर तहसील के अंतर्गत गांव मकला की सीमा में स्तिथ हैं। ठीक से किसी को कोई इतिहास पता नही और सामान्यतः चर्चा में सिर्फ इतना पता चलता है कि जब बंजारे अपने ढेरों के साथ यहां कुछ दिनों के लिए ठहरे थे, तब उन्होंने अपने पानी पीने के इतंजाम में 4 बड़े पत्थरो के माध्यम से इसे बावड़ी का रूप दिया। फोटो में जो छोटे छोटे पत्थर दिखाई दे रहे है, यह ग्रामीणों ने यह बावड़ी के संरक्षण के लिए अलग से जमा कर बावड़ी को संरक्षित रूप दिया है। बावड़ी को अगर ठीक से देखा जाए तो इसके भीतर दो रास्ते दिखाई देते है और जब इसके भीतर इन रास्तों की गहराई देखी जाए तो असीमित है। कई रहस्यों के साथ, इस बावड़ी के साथ कई कहानियां प्रचलित है, परंतु वास्तविक इतिहास कुछ पता नही। आसपास जल स्तर बहुत गहराई में है और यहां पर जल स्तर की अपनी अलग ही महिमा एक महिमा है, जो फोटो में आसानी से दिखाई देती है।

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