गुड़ी पड़वा के दिन हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपता को पड़वा कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल 2022 को है। आखिर क्या है इस बार हिन्दू नववर्ष की विशेषताएं।
गुड़ी पड़वा पर क्यों मनाया जाता है हिंदू नववर्ष :

1. नवसंवत्सर : गुड़ी पड़वा को मूलत: नवसंवत्सर या नववर्ष कहते हैं। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा कहने का प्रचलन है क्योंकि वे लोग इस दिन अपने घर के बाहर गुड़ी लगाते हैं। इसी तरह हर प्रांत में इसका नाम अलग है। जैसे उगादी, युगादी, चेटीचंड या चेती चंद अरदि, परंतु है ये नवसंवत्सर।
2. पौराणिक कारण : ब्रह्म पुराण अनुसार ब्रह्मा ने इस दिन सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ भी होता है। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी। इसीलिए इस दिन संपूर्ण भारतवर्ष में उत्सव होता है। मिठाई का वितरण होता है और कुछ नया या मांगलिक कार्य किया जाता है।

2. वैज्ञानिक कारण : चैत्र माह अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च और अप्रैल के मध्य होता है। 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, ‍उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी दिन से धरती का प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है। नवर्ष से ही रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है। रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। दिन और रात को मिलाकर ही एक दिवस पूर्ण होता है। दिवस का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और अगले सूर्योदय तक यह चलता है। सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल मना जाता है।

 
इस बार के नवसंवत्सर की क्या है विशेषता :

- इस बार यह नववर्ष विक्रम संवत 2079 रहेगा।

- नव संवत्सर 2079 इस बार 2 अप्रैल 2022 शनिवार से शुरू होगा। शनिवार के देवाता शनिदेव है इसलिए इस नववर्ष के स्वामी शनिदेव ही है। दरअसल नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी मानते हैं। इस वर्ष का प्रथम दिन शनिवार को है और इसके देवता शनि है।

- मतलब न्याय के देवता शनि ग्रह का 2022 में रहेगा जबरदस्त प्रभाव। वह सुख और समृद्धि दिलाएंगे, लेकिन जीवन के कर्म का फल भी प्रदान करेंगे, इसीलिए सतर्कता भी जरूरी है।
- शनि इस वर्ष का राजा है इस मान से इस वर्ष का मंत्री मण्डल इस प्रकार होगा- राजा-शनि, मन्त्री-गुरु, सस्येश-सूर्य, दुर्गेश-बुध, धनेश-शनि, रसेश-मंगल, धान्येश-शुक्र, नीरसेश-शनि, फलेश-बुध, मेघेश-बुध रहेंगे। संवत्सर का निवास कुम्हार का घर एवं समय का वाहन घोड़ा है।

- कहते हैं कि जिस वर्ष समय का वाहन घोड़ा होता है उस वर्ष तेज गति से वायु, चक्रवात, तूफान, भूकंप भूस्खलन आदि की संभावना बढ़ जाती है। मानसिक बैचेनी भी बढ़ जाती है और तेज गति से चलने वाले वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की भी संभावना बढ़ जाती है।
- नववर्ष के प्रथम माह में सभी ग्रहों का परिवर्तन होने वाला है। राहु, केतु, गुरु, शनि सभी ग्रह परिवर्तन करेंगे। 13 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि से मीन में प्रवेश करेंगे। राहु 12 अप्रैल को सुबह वृषभ से मेष राशि में गोचर करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनिवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा धनु राशि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में होगा। साथ ही शिवरात्रि व्रत भी होगा।