वाशिंगटन । माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने रिपोर्ट जारी करके रूस की ओर से यूक्रेन पर साइबर अटैक का दावा किया है। रिपोर्ट में कहा कि रूसी सरकार समर्थित हैकरों ने पिछले कुछ समय के दौरान यूक्रेन में दर्जनों संगठनों पर साइबर हमला कर उनके डेटा को नष्ट कर दिया है और ‘सूचनाओं का एक अराजक माहौल पैदा कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि लगभग आधे हमले महत्वपूर्ण अवसंरचना पर किये गए और कई बारे इसतरह के हमले बमबारी के साथ-साथ किए गए।
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि रूस से संबद्ध समूह मार्च 2021 से इस हमले की तैयारी कर रहे थे, ताकि वे नेटवर्क को हैककर रणनीतिक और युद्धभूमि की खुफिया सूचनाएं एकत्र कर सकें और भविष्य में उसका इस्तेमाल कर सकें। रिपोर्ट के अनुसार युद्ध के दौरान, हैकरों ने नागरिकों की विश्वसनीय जानकारी और महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंच को बाधित करने का प्रयास किया है। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके हिसाब से यूक्रेन की सरकारी वेबसाइट, बैंक और दूसरे संस्थाओं के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को रूस ने निशाना बना कर साइबर अटैक करना शुरू कर दिया है। यूक्रेन का कहना है कि उन्हें पिछले हफ्ते एक चेतावनी भी मिली थी कि आने वाले दिनों में उनपर साइबर अटैक होने वाले हैं और ऐसा ही हुआ है। यूक्रेन ने इन अटैक्स का जिम्मेदार रूस को ही ठहराया है।
यूक्रेन को अक्सर रूस का हैकिंग प्लेग्राउंड कहा जाता है। रूस ने हमले की अपनी तकनीक और टूल्स की जांच के लिए वहां कई हमले किए हैं। 2015 में ब्लैक एनर्जी कहे जाने वाले साइबर अटैक में यूक्रेन की इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड खराब हो गई थी। इसकारण पश्चिमी यूक्रेन में यूटिलिटी कंपनी के 80 हजार ग्राहकों को सीधे ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा था। इसके ठीक एक साल बाद इंडस्ट्रोयर नाम का एक और साइबर हमला हुआ, जिससे यूक्रेन की राजधानी कीव के पांचवें हिस्से में एक घंटे के लिए पूरी तरह अंधेरा छा गया। उस वक्त अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने हमले के लिए रूसी मिलिट्री हैकर को दोषी ठहराया था। नॉटपेट्या दुनिया के इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला साइबर अटैक समझा जाता है। अमेरिकी, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के अधिकारियों ने इस हमले का आरोप रूसी मिलिट्री हैकरों पर लगाया है।