भोपाल । ग्राम विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे रोजगार सहायकों को बड़ा झटका देते हुए सरकार ने उन्हें  संविदा नीति में शामिल करने से इंकार कर दिया है। सरकार की मनाही के बाद प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत 20 हजार से अधिक ग्राम रोजगार सहायक अंशकालीन कर्मचारी ही बने रहेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के रोजगार सहायक पिछले कई साल से अपनी मांगों को लेकर सरकार से मोर्चा लिए हुए हैं। लेकिन उनकी मांगों पर पानी फिर गया है।
रोजगार सहायक संघ पदाधिकारी रोशन परमार ने कहा कि रोजगार सहायक ग्राम विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हम अपने हकों की लड़ाई कई सालों से लड़ रहे हैं। जो मांगे मान ली जाएंगी उस पर सरकार के निर्णय का स्वागत है लेकिन जो पेंडिंग रहेंगी उनको लेकर हमारी मांगे फिर दोहराई जाएंगी।

मांगों को लेकर रिपोर्ट तैयार
जानकारी के अनुसार प्रदेश के रोजगार सहायकों के बार-बार किए जा रहे आंदोलन से सरकार ने उनकी मांगों का परीक्षण कराया है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जा रही है। उनकी अंशकालीन कर्मचारी की जगह संविदा नीति में शामिल करने की डिमांड खारिज हो सकती है। रोजगार सहायक की मौत पर पीडि़त परिवार को दस लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रस्ताव भी स्वीकार नहीं होगा। रोजगार सहायकों की मांग है कि उन्हें पूर्णकालिक कर्मचारी माना जाए और 5 जून 2018 की संविदा नीति ग्राम रोजगार सहायक पर भी लागू हो। जिससे मनरेगा कर्मचारियों की भांति हर वर्ष समय- समय पर वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता मिल सके। हालांकि रोजगार सहायकों की नियुक्ति अंशकालीन संविदा के आधार पर की गई। इसलिए संविदा नीति लागू नहीं होगी।

मांगें मानी गई तो बढ़ेगा वित्तीय भार
अगर रोजगार सहायकों द्वारा की जा रही मांगों को माना गया तो सरकार पर वित्तीय भार बढ़ेगा। वर्तमान में 9 हजार रुपए मासिक दिया जा रहा है। कुल 222 करोड़ का भुगतान होता है। कोई समकक्ष वेतनमान निर्धारित नहीं है। अगर, मानदेय में एक हजार रुपए बढ़ाए जाते हैं तो 20,565 रोजगार सहायकों पर 24.67 करोड़ का अतिरिक्त वार्षिक वित्तीय भार आएगा। वहीं ग्राम रोजगार सहायक को ईपीएफ का लाभ दिए जाने पर मनरेगा योजना के प्रशासनिक मद में करीब 26.65 करोड़ का वित्तीय भार आएगा। 9 हजार के मानदेय पर 12 प्रतिशत ईपीएफ कटौती होने पर 1080 रुपए मिलेंगे। इसलिए ईपीएफ से भुगतान करना संभव नहीं। आकस्मिक मृत्यु पर 10 लाख रुपए की आर्थिक परिवार सहायता और परिवार के पात्र सदस्य को नौकरी में प्राथमिकता की मांग पर सुझाव दिया गया है कि आकस्मिक मृत्यु होने पर आश्रित परिवार को संबल योजना की तरह दो लाख रुपए और दुर्घटना मृत्यु होने पर चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने पर राज्य मद से भुगतान किए जाने पर विचार किया जा सकता है।

6 साल से नहीं बढ़ा वेतन
जानकारी के अनुसार रोजगार सहायकों का वर्ष 2017 से वेतन नहीं बढ़ा है। उनकी मांग है कि कम से कम 30 हजार रुपए मासिक की जाए। विभाग का कहना है कि वर्तमान में 222 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का भुगतान किया जा रहा है। वर्तमान में मनरेगा योजना में प्रशासनिक मद में कम राशि मिलने से और भविष्य को देखते हुए वेतन से पूर्ति राज्य मद से भुगतान किए जाने पर विचार किया जाना चाहिए।
वहीं उनकी मांग है कि रोजगार सहायकों का पदनाम सहायक सचिव स्थाई रूप से किया जाए। 6 जुलाई 2013 के निर्देश के अनुसार कलेक्टर स्तर से सहायक सचिव घोषित करने का निर्णय लिया जा चुका है।
मेडिकल सुविधा एवं बीमा का लाभ की मांग पर कहा जा रहा है कि मनरेगा के प्रशासनिक मद से संभव नहीं। लेकिन, विभाग के राजपत्र तीन अगस्त 2022 के आधार पर चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया जा सकता है। वहीं ग्राम रोजगार सहायकों की स्थानान्तरण पॉलिसी बनाने तथा महिला रोजगार सहायकों के विवाह की दशा में एक से दूसरे जिले में स्थानांतरण की मांग के मामले में शासन स्तर पर प्रक्रियाधीन है।