जरायम की दुनिया में कभी मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। उसके एक इशारे भर की देर होती थी और उसके शार्प शूटर कत्लेआम मचा देते थे। लेकिन बदलते वक्त और हालात में उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों से मुख्तार अंसारी के माफिया राज का साम्राज्य खत्म करना शुरू कर दिया। हालात यह हो गए कि उसके सभी फायर पावर एक-एक करके खत्म होने लगे। बीते कई दशकों से मुख्तार अंसारी के साथ जुड़े रहे उसके शार्प शूटर जीवा की कोर्ट में सरेआम हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का बचा खुचा सपोर्ट भी नेस्तनाबूद हो गया। यूपी में राजनीति और जरायम की दुनिया को मजबूती से समझने वाले एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि लगातार खत्म हो रहे अंसारी के गुर्गों से अब उसका साम्राज्य पूरी तरह से खत्म हो चुका है।

जीवा को मुख्तार अंसारी का साथ सबसे पसंद आया

मुख्तार अंसारी के जेल में रहने के साथ ही बाराबंकी जेल में बंद रहे जीवा ने उसके इशारे पर ना सिर्फ हत्याएं की, बल्कि धन उगाही और जरायम की दुनिया के वह सभी अपराध करता रहा। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और क्राइम रिपोर्टर रहे मनीष मिश्रा कहते हैं कि जीवा मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर हुआ करता था। उसकी हत्या के साथ अब माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी का गिरोह पूरी तरीके से खत्म हो चुका है। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मुख्तार अंसारी के साथ उन दिनों से जुड़ा रहा जब मुख्तार अंसारी की उत्तर प्रदेश में तूती बोला करती थी। 10 जनवरी 1997 को उत्तर प्रदेश के मंत्री रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद जीवा का नाम उत्तर प्रदेश के जरायम की दुनिया में सबसे आगे चलने लगा। इस हत्या के साथ ही जीवा उत्तर प्रदेश के तत्कालीन माफियाओं की पहली पसंद बन गया। लेकिन जीवा को उनमें मुख्तार अंसारी का ही साथ पसंद आया। उसके बाद लगातार मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर बन कर न सिर्फ हत्याएं करता रहा बल्कि पुलिस प्रशासन को चुनौतियां भी देता रहा।

05 मार्च 2016 से हुई मुख्तार अंसारी के गैंग के कमजोर पड़ने की शुरुआत

मुख्तार अंसारी भी अपने काले साम्राज्य के आगे बढ़ाने के लिए ऐसे ही नए लड़कों पर दांव लगाने के लिए जाना जाता रहा। लेकिन बदलते हालातों में मुख्तार अंसारी का यह काला साम्राज्य ना सिर्फ कमजोर पड़ता रहा बल्कि धीरे-धीरे उसके एक एक शार्प शूटर इस दुनिया से जाते रहे। वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्रा कहते हैं कि शुरुआत 5 मार्च 2016 में मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर और दाहिने हाथ रहे मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज और उसके साथी विजय की हत्या के साथ शुरू हुई। जरायम की दुनिया को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनीष कहते हैं कि माना तभी यही जा रहा था कि अब उत्तर प्रदेश में गैंगवार शुरू होगा। लेकिन बदलती सत्ता के साथ खुलकर वारदात करने का मौका न मुख्तार अंसारी को मिला और न ही मुख्तार अंसारी के विरोधियों को। यही वजह रही कि कमजोर पड़ रहे मुख्तार अंसारी के गुट के सबसे भरोसेमंद और माफिया मुन्ना बजरंगी को 9 जुलाई 2018 को बागपत की जेल में मार दिया गया। उत्तर प्रदेश की जरायम की दुनिया को समझने वाले राजीव शर्मा कहते हैं कि मुन्ना बजरंगी की हत्या खबर से मुख्तार अंसारी के पैरों के नीचे से जमीन तक खिसक गई थी। जेल में रहने के बाद भी मुन्ना बजरंगी मुख्तार अंसारी के लिए अपने और अंसारी के काले साम्राज्य को बढ़ाने का काम करता रहता था।

मुख्तार के गैंग के शूटरों का सफाया होता रहा

मुख्तार अंसारी के दाहिने हाथ रहे मुन्ना बजरंगी की हत्या के साथ ही मुख्तार अंसारी को इस बात का एहसास हो गया था कि अब आने वाले दिनों में उसके लिए मुसीबत बढ़ती जाएगी। बदली हुई सरकार में माफिया मुख्तार अंसारी न खुद को और न अपने गुर्गों को महफूज कर पा रहा था। राजीव शर्मा कहते हैं कि इसी वजह से मुख्तार अंसारी के अलग-अलग विरोधी भी उसके गुर्गों को धीरे-धीरे निशाने पर लेते रहे और उनकी हत्या करते रहे। कई मामलों में तो एसटीएफ ने भी मुख्तार अंसारी के गुर्गों से हुई मुठभेड़ में उनको ढेर कर दिया। मुन्ना बजरंगी की जेल में हुई हत्या के बाद मुख्तार अंसारी के करीबी शूटर रहे हनुमान पांडे उर्फ राकेश पांडे की 9 अगस्त 2020 को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में उसको एसटीएफ ने ढेर कर दिया। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके विभूति खंड में 6 जनवरी 2021 को मुख्तार गैंग के लिए पैसों का बंदोबस्त करने वाले अजीत सिंह को भी गोलियों से भून दिया गया। उत्तर प्रदेश में ऐसे गैंगस्टर्स को करीब से समझने वाले राजीव शर्मा कहते हैं कि अजीत की हत्या के साथ मुख्तार अंसारी वित्तीय रूप से न सिर्फ कमजोर गया बल्कि जरायम की दुनिया में भी कमजोर माना जाने लगा।

पाकिस्तान से असलहे मंगवाता था मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी के शार्प शूटरों की हत्या का सिलसिला अजीत सिंह की मौत के साथ ही नहीं थमा। मई 2021 में उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों से मुख्तार अंसारी के लिए फसलों का बंदोबस्त करने वाले उसके शूटर मेराज की चित्रकूट जेल में हत्या कर दी गई। यूपी एसटीएफ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मेराज सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों से विदेशों से आए हथियारों की सप्लाई में शामिल था। मुख्तार गैंग के पास जितने भी विदेशी असलहे होते थे, उसे जुटाने का काम मेराज ही किया करता था। विदेशों से असलहों को जुटाने के बड़े नेटवर्क का पता तब चला था, जब मेराज को लालगंज में मेड इन पाकिस्तान की पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया गया था। मई 2021 में मेराज की हत्या के बाद अक्तूबर 2021 में ही एसटीएफ ने मुठभेड़ में मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर रहे अली शेर को मार गिराया। इस मुठभेड़ में पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक में अपने नेटवर्क को मजबूत करने वाले एक और शार्प शूटर कामरान उर्फ बन्ने को भी मारा गया था।

कमजोर हो चुका है मुख्तार अंसारी का गैंग

उत्तर प्रदेश के एक रिटायर्ड वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कहते हैं कि मुख्तार अंसारी अपने गुर्गों की हत्या का जब बदला नहीं ले पा रहा था, तो उसके प्रतिद्वंदी इस बात को भलीभांति समझ गए थे कि मुख्तार अंसारी अंदर ही अंदर कमजोर होता जा रहा है। नतीजतन उसके एक एक शार्प शूटर को ठिकाने पर लगाया जाने लगा। वह कहते हैं कि कृष्णानंद राय की हत्या में शामिल रहे मुख्तार अंसारी के सभी प्रमुख शूटरों को किसी न किसी तरीके से ठिकाने लगाया ही गया। इसमें कुछ तो पुलिस की मुठभेड़ में मारे गए, जबकि कुछ को आपसी गैंगवार में खत्म कर दिया गया। वह कहते हैं कि भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और उत्तर प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी के हत्याकांड में शामिल संजीव महेश्वरी और जीवा की हत्या के साथ मुख्तार अंसारी के सभी बड़े दाहिने हाथ और बड़े शार्प शूटर खत्म हो चुके हैं।