नई दिल्ली/भोपाल । मप्र में 51 फीसदी वोट के साथ 200 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा की स्थिति 25 साल पहले जैसी हो गई है। यानी 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जो स्थिति थी, वह वर्तमान समय में बन गई है। इसका खुलासा इंदौर से आरएसएस को मिले फीडबैक में हुआ है। इस फीडबैक से जहां भाजपा में भूचाल आ गया है, वहीं कांग्रेस सरकार बनाने का सपना देखने लगी है। गौरतलब है कि 1998 में जो विधानसभा चुनाव हुआ था, उसमें भाजपा को मात्र 83 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ने 127 सीटों के साथ सरकार बनाई थी। इस हार के बाद भाजपा ने संगठित होने का अभियान चलाया और 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में 164 सीटें जीतकर सत्ता पाई थी। उस समय कांग्रेस मात्र 41 सीटों पर सिमट गई थी। वैसे तो कांग्रेस ने तभी से सत्ता में वापसी के लिए प्रयास शुरू कर दिया था, लेकिन 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में पार्टी 15 साल बाद सत्ता में वापसी कर पाई। हालांकि 2020 में वह सत्ता से बेदखल हो गई। लेकिन तभी से कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए निरंतर सक्रियता बनाए रखी और आज मजबूत स्थिति में भाजपा को टक्कर दे रही है। सह सरकार्यवाह को मिला फीडबैक भाजपा और संघ के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गत दिनों इंदौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की टॉप लीडरशिप ने मप्र भाजपा संगठन को लेकर एक गोपनीय फीडबैक लिया है। इसके लिए संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने संगठन के अंदाज में ही गुपचुप मुलाकात की है। चुनिंदा जमीनी और पुराने कार्यकर्ताओं से उन्होंने फीडबैक लिया। इस बैठक में स्वयंसेवकों ने रिपोर्ट दी कि सत्ता-संगठन में समन्वय नहीं होने और नेताओं के वर्चस्व के कारण भाजपा की स्थिति 1998 जैसी हो गई है। एक पुराने कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी कि भाजपा मप्र के संगठन में आगामी दिनों में बदलाव देखने को मिलेगा। यह विधानसभा चुनाव को लेकर स्ट्रेटेजी के अलावा संगठन पदाधिकारी स्तर तक हो सकता है। डॉ. वैद्य के फीडबैक के मायने संघ में सरसंघचालक के बाद महासचिव के रूप में सरकार्यवाह का पद है। उसके बाद सह सरकार्यवाह होते हैं। डॉ. मनमोहन वैद्य उन्हीं में से एक हैं। वे 2018 में इस पद पर नियुक्त हुए थे। इनकी नियुक्ति सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने की थी। यानी वे टॉप थ्री पॉजिशिन में आते हैं। इससे उनकी फीडबैक के मायने का अंदाजा लगाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि डॉ. वैद्य ने अपनी रिपोर्ट भाजपा हाईकमान को भिजवा दी है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। संघ के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वैद्य ने प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों का फीडबैक लिया है। उन्होंने महिला स्वयं सेविकाओं की बैठक भी ली है। साथ ही प्रदेश में संगठन के काम की जानकारी भी जुटाई है। हालांकि संघ और भाजपा नेता वैद्य के दौरे को निजी बता रहे हैं। बड़े बदलाव की सुगबुगाहट राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मैदानी फीडबैक के बाद ही मप्र सहित अन्य चुनावी राज्यों के संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट एकाएक तेज हो गई। खासतौर पर संघ की टोली बैठकें और दिल्ली में संपन्न उच्च स्तरीय बैठकों में भी यह मुद्दा प्रमुखता से छाया है। आरएसएस के पदाधिकारी इन राज्यों में संगठन के मौजूदा परफॉर्मेंस से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे। हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री बीएल संतोष सहित अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में मप्र सहित अन्य राज्यों को लेकर गहन विचार विमर्श किया सौंप दी है। गया। इस बैठक का नतीजा अगले चंद रोज में भी सामने आने की संभावना जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने छत्तीसगढ़ प्रभार के साथ ही मप्र के सभी जिलों का दो मर्तबा दौरा कर लिया है। उन्होंने माइक्रो स्तर पर कार्यकर्ताओं और अन्य प्रबुद्ध नागरिकों से की गई चर्चा के आधार पर तैयार अपनी रिपोर्ट हाईकमान को दिया गया है। जामवाल-शिवप्रकाश की रिपेार्ट पर मंथन भाजपा सूत्रों का कहना है की राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल को आलाकमाना ने हर जिले में जाकर विधायकों की जमीनी हकीकत पता करने की जिम्मेदारी सौंपी है। जामवाल और शिवप्रकाश प्रदेश के हर जिले में करीब दो बार जाकर जिलों से लेकर बूथ तक के कार्यकर्ताओं से चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने भी अपने फीडबैक से नड्डा और संतोष को अवगत करा दिया है। ऐसा बताया जा रहा है। कि जामवाल ने मौजूदा स्थितियों और चुनाव के संदर्भ में अपने सुझाव भी दिए हैं। इसमें नई-पुरानी भाजपा और असंतुष्ट कार्यकर्ताओं के बीच पनप रहे असंतोष के साथ ही अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया गया है। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व संगठन को कसने के साथ सर्वे में आए नामों को लेकर मंथन करने में लग गया है। सूत्रों की मानें तो लगातार आ रही शिकायतों से भाजपा आलाकमान चिंतित है। जेपी नड्डा पिछले कई दिनों से संगठन के शीर्ष नेताओं से चर्चा कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में राष्ट्रीय नेतृत्व संगठन में और कसावट लाना चाहता है। दिल्ली पहुंची विधायकों की परफार्मेंस रिपोर्ट उधर, विधानसभा चुनाव के पांच महीने पहले ही भाजपा प्रत्याशियों के टिकट पर दिल्ली में मंथन शुरू हो गया है। विधायकों को लेकर सत्ता और संगठन द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट दिल्ली पहुंच गई है, इसके साथ ही प्रदेश के कई जिलों में मचे आपसी घमासान से भी केंद्रीय नेतृत्व चिंतित है। इन दोनों मसलों पर भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल से मिले फीडबैक के बाद राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। आने वाले दिनों में इसके परिणाम सामने आ सकते हैं।

न्यूज़ सोर्स : (ईएमएस)