भोपाल ।   गरीबी उन्मूलन की दिशा में महिला स्व-सहायता समूहों ने बड़ा काम किया है। पिछले 10 साल में राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से 45 लाख ग्रामीण महिलाएं समूहों से जुड़ीं और तीन से पांच गुनी आमदनी बढ़ाई है। प्रदेश में ऐसे चार लाख समूह कार्यरत हैं, जो इन महिलाओं को कृषि और गैर कृषि आधारित रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। उन्हें स्वयं का कारोबार शुरू करने के लिए भी कर्ज दिया जा रहा है। इससे स्थिति में अमूलचूल सुधार आया है। सौ और डेढ़ सौ रुपये दिन में खेत और भवन निर्माण में मजदूरी करने वाली महिलाएं अब दिन में पांच से आठ सौ रुपये तक कमा रही हैं। वे किराना दुकान-छोटे कारखाने चला रही हैं, खेती कर रही हैं। आजीविका मिशन ने इस साल 10 लाख और महिलाओं को समूहों से जोड़कर रोजगार दिलाने का लक्ष्य तय किया है।प्रदेश के आर्थिक आधार पर पिछड़े जिलों की महिलाएं रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाकर कृषि-निर्माण मजदूरी करती थीं। इस पलायन को रोकने और उन्हें गांव में ही रोजगार देने के उद्देश्य से मप्र राज्य आजीविका मिशन ने काम शुरू किया। इसमें कोरोना काल में सफलता मिली। दूसरे राज्यों से लौटे मजदूर जब प्रदेश में ही रोजगार तलाश रहे थे, तब मिशन साथ दिया और उन्हें पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, मछली पालन, कृषि, अगरबत्ती, साबुन-सर्फ, सेनेटरी नेपकिन, चप्पल, फिनाइल निर्माण, सिलाई-कढ़ाई, खाद्य पदार्थ, अचार, मसाले, पापड़, चिप्स, खाद्य तेल, मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन सहित 150 प्रकार के अन्य सूक्ष्म-लघु रोजगार से जोड़ा। उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता का नियंत्रण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के तरीके सिखाए गए। अब समूहों की समस्याओं के समाधान के लिए सौ लोक अधिकार केंद्र खोले जा रहे हैं।

स्वास्थ्य परीक्षण की सौगात

दिन-रात काम में लगी समूह की महिलाओं के स्वास्थ्य की फिक्र भी सरकार कर रही है। इस साल से समूह की सदस्यों के स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की जा रही है। पहले चरण में एक लाख सदस्यों को इससे जोड़ा जा रहा है। इसके बाद इस व्यवस्था को विस्तार दिया जाएगा।

स्ट्रीट वेंडर योजना ने दिया संबल

गरीबी उन्मूलन में स्ट्रीट वेंडर योजना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोरोना काल में जब लाकडाउन की वजह से कारोबार चौपट हो गया था। फुटपाथ पर दुकान या ठेला लगाकर रोज का कमाने और खाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ, तो सरकार ने स्ट्रीट वेंडर योजना शुरू की। उसमें ऐसे दुकानदारों को 10 हजार रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज दिलाया गया, ताकि आर्थिक तंगी के चलते पिछड़े व्यापार को गति मिल सके। इससे लोगों को अपना रोजगार निरंतर रखने में मदद मिली है।