बस्ती । रविवार को बनकटी बाजार के निकट स्थित बुद्ध बिहार एवं विपश्यना केन्द्र का लोकार्पण भन्ते ज्ञानेश्वर ने किया। कहा कि विपश्यना केन्द्र के बन जाने से लोग भगवान बुद्ध के बारे में और अधिकारी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। कहा कि विपश्यना से मन को शांति प्राप्त होती है और एक सुखी, जीवन बिताना संभव हो जाता है। विपश्यना का अभिप्राय है की जो वस्तु सचमुच जैसी हो, उसे उसी प्रकार जान लेना। कहा जाता है कि 2500 साल पहले गौतम बुद्ध ने इसकी खोज की थी। उस समय उत्तर भारत के लोग विपश्यना के अभ्यास से अपने-अपने दुखों से आजाद हुए। समय के साथ यह विधि भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, थाईलैंड और वर्मा में फैल गयी।
भन्ते ज्ञानेश्वर ने कहा कि केवल भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित करने से कुछ हासिल नहीं होगा। कहा कि व्यायाम से जैसे शरीर को स्वस्थ बनाया जाता है, वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ बनाया जाता है। विपश्यना सीखने के लिए योग्य प्रशिक्षक की जरूरत होती है। इसके लिए करीब 10 दिनों तक शिविर में रहना पड़ता है। हालांकि सारी समस्याओं का समाधान दस दिन में ही होगा ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। जितना अभ्यास बढ़ेगा, दुखों से छुटकारा मिलता चला जाएगा।
इस अवसर पर डा. भूमिधर, भारतीय बौद्ध ज्ञान सेवा समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश क्रान्तिकारी, राजाराम बौद्ध, फूलचन्द, दर्शन बौद्ध, उदयराज, डा. सन्तोष कुमार, डा. धर्मेन्द्र, दिलीप राव, जय कुमार, अंकित राव, रामकरन, राम जियावन बौद्ध, अवधराज, श्रीपत बौद्ध, दिलीप कुमार, चन्द्रभान, बच्चूलाल राना, रामलला गौड़, बालकेश बौद्ध, रामरूप बौद्ध, सजनलाल बौद्ध, सुनीता देवी बौद्ध, पवित्रा देवी बौद्ध, पुष्पा देवी बौद्ध, कुसुम देवी बौद्ध, प्रभावती देवी बौद्ध, कंचन देवी बौद्ध के साथ ही  बड़ी संख्या में भगवान बुद्ध के अनुयायी उपस्थित रहे।